नाराज़ सांसद ने मुख्यमंत्री व अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष को लिखा पत्र

सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) से ब्रजेश भारती की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट :-

एक समय में कहा जाता है कि एक एमपी (सांसद) स्टेशन मास्टर को खबर भिजवा ट्रेन को दस मिनट से आधा घंटा तक रूकवा फिर वह ट्रेन तब खुलती थी जब वह (एमपी) उसमें सवार हो जाता था।

आज उसके उल्टे एक ओपीध्यक्ष, सांसद की बातों को नजर अंदाज ही नहीं करते बल्कि सीधा जवाब उस पत्र से संबंधित व्यक्ति को दे देता है कि उनको(सांसद) ही बोलो वह काम कर देने। और इतना ही नहीं बेवस सांसद उस ओपीध्यक्ष के संबंध में सुबे के मुखिया एवं आयोग को पत्र लिखकर अपनी बेवसता दर्शाते है।

सांसद चौधरी महबूब अली कैसर

उपरोक्त बातों से तो एक बात साफ नजर आ रही है कि नौकरशाहों पर से नेताओं (जनता के चुने प्रतिनिधि) का कमांड समाप्त हो गया है।

उपरोक्त मामला सहरसा जिले के बख्तियारपुर थाना क्षेत्र के कनरिया ओपी का है। यहां पदस्थापित ओपीध्यक्ष को एक जमीनी विवाद से संबंधित मामले को लेकर खगड़िया लोकसभा क्षेत्र के मोदी सरकार के सहयोगी दल लोजपा पार्टी के सांसद चौधरी महबूब अली कैसर ने एक पत्र लिखा गया था।

ओपीध्यक्ष धर्मवीर साथी

ओपीध्यक्ष ने सांसद के पत्र को कितना तब्बजो दिया इस बात का जिक्र सांसद के द्वारा लिखे गए उस पत्र में साफ नजर आ रहा है जिसमें उन्होंने ओपीध्यक्ष पर कार्रवाई के लिए अनुसूचित जाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लिखा है इसी प्रकार का पत्र मुख्यमंत्री को भी लिखा गया।

सांसद का पत्र मुख्यमंत्री के नाम

सासंद के द्वारा पत्र में कहा गया है कि मेरे द्वारा लिखे पत्र को लेकर कठडुमर  गांव निवासी महादलित रंजीत सादा जब कनारिया ओपी प्रभारी के पास गया तो ओपी प्रभारी ने कहा कि सासंद को ले जाकर ही जमीन में लगे गेहूं के फसल को कटवा लो एवं अपनी सुरक्षा भी उन्ही से करा लो।

कनारिया ओपीध्यक्ष के द्वारा एक महादलित फरियादी के साथ व्यवहार एवं सांसद के पत्र रिस्पॉन्स क्या दर्शाता है कि कहा जा रहा है नौकरशाहों पर से नेताओं का लगाम।