तैयब ट्रस्ट देवबंद से सहरसा के कोसी क्षेत्र में रमजान तुडपीक वितरण
सहरसा से सहयोगी संवाददाता वजीह अहमद तसौवुर की रिपोर्ट :-
राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न सामाजिक कार्यों में सक्रिय भूमिका अदा करने वाली समाजिक संस्था “तैयब ट्रस्ट देवबंद” की ओर से सहरसा जिले के विभिन्न गांवों में रहने वाले जरूरतमंदों के बीच रमजान खाद्य पैकेट का वितरण किया गया।
इस अवसर पर तैयब ट्रस्ट के प्रवक्ता शाहनवाज़ बद्र कासमी (सम्पादक, ताजा तरीन रेडियो) ने अपने संबोधन में कहा कि मानवीयता दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण पूजा है और अल्लाह पाक को यह काम बेहद पसंदीदा है। मानव सेवा अल्लाह को राजी करने के लिए सबसे आसान नुस्खा है, जिसे हम सभी को करना चाहिए ।
उन्होंने कहा कि कोसी कमिश्नरी का यह क्षेत्र भारत का सबसे ज्यादा पिछड़ा और बदहाल है। यहाँ की जनता आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।
रमजान के पवित्र महीने में कल्याणकारी कार्यों के करने से दिली सकून और खुशियां मिलती है। इस क्षेत्र में आज भी ऐसी गरीबी और असुविधा है जिसे देख विश्वास नहीं होता है आज भी ऐसे क्षेत्र हमारे देश में मौजूद है। मुस्लिम बहुल यह क्षेत्र एक लंबे समय तक आवागमन के असुविधा के कारण दुनिया के अन्य भागों से कटा रहा परन्तु कोसी नदी पुल बन जाने के बाद भी समृद्धि, सुविधा और रोजगार जो मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पाता रहा है।
शाहनवाज बद्र ने कहा कि सहरसा का यह क्षेत्र हमेशा सरकार के उदासीन रवैये के कारण दिनोंदिन पिछड़ेपन का शिकार होता चला गया। यहाँ युवा और नई पीढ़ी बड़ी संख्या में उच्च शिक्षा और स्वरोजगार के लिए भटक रहे हैं लेकिन कोई हाल पूछने वाला नहीं है।
उन्होंने कहा कि तैयब ट्रस्ट इससे पहले भी कई अवसरों पर यहां बेसहारा और जरूरतमंदों के लिए काम करता रहा है। आज जरूरत इस बात की है कि इस क्षेत्र के पिछड़ेपन के उन्मूलन के लिए सरकार कोई ठोस पहल करे साथ ही समाजिक व धार्मिक संगठनों को भी इस क्षेत्र पर ध्यान देकर शैक्षणिक माहौल सुधार के साथ शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम करना चाहिए ताकि नई पीढ़ी का भविष्य उज्ज्वल और ताबनाक हो सके।
इस अवसर पर संगठन इसलाही फाउंडेशन के अध्यक्ष नईम सिद्दीकी ने तैयब ट्रस्ट के इस पुण्य कार्य और प्रयासों को सराहते हुए धन्यवाद देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में और अधिक काम करने की जरूरत है।
इस अवसर पर मौलाना उल्लाह रहमानी, डायरेक्टर जामिया इसलाहुल बनात नजमुल होदा , मास्टर अब्दुल हन्नान, मोहम्मद सुहैल, मुखिया हयातउल्लाह, मौलाना हयातउल्लाह मास्टर मुख्तार आलम, मुमताज़ आलम, इम्तियाज आलम आदि उपस्थित थे।