● बीते कई दिनों से चर्चा में छाया है ग्रीन प्लानेट
● सोशल मीडिया में लोग पूछ रहे है, ” क्या है ग्रीन प्लानेट”

Report @ brajesh bharti

बीते कई दिनों से चर्चा में छाये ग्रीन प्लानेट के रहस्य से अब पर्दा उठने जा रहा है.बीते कुछ दिनों में सोशल मीडिया के सभी माध्यमों से आम दर्शकों ने ग्रीन प्लानेट से जुड़ें कई सवाल किये.हर सवाल के उत्तर में जल्द खुलासा की बात कही गई.इसलिए आज और अभी आप सभी का पसंदीदा न्यूज़ पोर्टल ब्रजेश की बात आपको इस पूरे रहस्य से पर्दा उठाकर रु – ब – रु करायेगा।

● द ग्रीन प्लानेट ……!

सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल अंतर्गत विभिन्न प्रखंडों में शिक्षा का जमकर व्यवसायीकरण हो रहा है.बाजारीकरण के इस दौर में किताबों से लेकर स्कूल बैग और स्कूल ड्रेस तक से खूब धन बटोरा जा रहा है.स्कूल की उपलब्धि शिक्षित बच्चों से नहीं बल्कि गुरुकुल से महल की ओर पढ़ चुके बिल्डिंग से हो रही है.स्कूल के बाद कोचिंग के नाम पर भी जिले सहित पूरे बिहार में लूट की छूट जारी है.जिसकी वजह से बच्चों के माता-पिता खून के आंसू बहा बच्चों को पढ़ाने को विवश है.इस दौर में उन आंसुओं को अखबार में जगह तो मिलती है परंतु सेटिंग के समय में बहुत बातें वेटिंग में चली जाती है.इन मुद्दों पर जनप्रतिनिधि भी चुप्पी साधे है और समाज में समस्याओं के अंबार के बीच इस तरह के मुद्दे दम तोड़ देते हैं.स्थिति यह है कि बच्चों के उज्जवल भविष्य की चाहत में माता – पिता अपनी गाढ़ी कमाई को स्कूलों पर लुटाते हैं और जिस वजह से स्कूलों की झोपड़ियां तो महल बन जाती हैं परंतु बच्चों को पढ़ाने के चक्कर में माता – पिता भूमिहीन हो जाते हैं.इन्हीं सभी समस्याओं के कुछ हद तक निदान के लिए एक नई संस्था आकार ले रही है.इस संस्था ने उन सभी अवगुणों को दूर करने का भरसक प्रयास किया है जिसके तले प्राइवेट स्कूल दिनों – दिन दबती चली जा रही है. हालांकि यह कठिन फैसला है और नतीजे प्रबंधन के लिए निराशाजनक हो सकते है परंतु नई उम्मीद के साथ सिमरी बख्तियारपुर अंतर्गत रायपुरा में द ग्रीन प्लानेट स्कूल की स्थापना की गई है।

यह स्कूल जिले के उन कुछेक स्कूलों में पंक्तिबद्ध होने जा रहा है जो भारी भरकम कमीशन के रूप में मुनाफा देने वाले प्राइवेट पब्लिकेशन के किताबों को चलाने के बजाय एनसीईआरटी के पुस्तकों को अपने पाठ्यक्रम में रखेगी.इसके अलावा स्कूल ड्रेसों के नाम पर मचे लूटो पर भी ग्रीन प्लानेट ने फूल स्टॉप लगा दिया है और यह स्कुल जिले को पहली स्कुल होंगी जो डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा उपलब्ध कराये गये कीमत पर ही बच्चो को ड्रेस उपलब्ध करवायेगी. इसके साथ ही स्कूल प्रबंधन ने शहरो की चकाचौंध से दूर ग्रामीणों के बीच स्कुल खोलने का फैसला किया है.ग्रामीण बच्चो को सटीक शिक्षा देने के उद्देश्य से
रायपुरा जैसे छोटे पंचायत में स्कूल खोलना प्रबंधन की सात्विक सोच को दर्शाता है.इस तरह के कई मामलों में ग्रीन प्लानेट अपने आगमन से पूर्व अपनी पहचान बनाने में कामयाब होता दिख रहा है।


 यहां यह बता दें कि जल्द सिमरी बख्तियारपुर अंतर्गत रायपुरा में शुरू हो रहे हैं द ग्रीन प्लानेट स्कूल अपने बच्चों में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को एक आदत के रूप में विकसित करने की मुहिम के साथ हम सभी के बीच आ रहा है.यह स्कूल शायद जिले के पहले इको फ्रेंडली स्कूल में शामिल होने जा रहा है जहां स्कूल के प्रत्येक बच्चे के जन्मदिन के मौके पर एक पौधा लगाकर बच्चों द्वारा पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दिया जाएगा.


हम श्रेष्ठतम होने का कोई दावा नही करते।लेकिन हम गौतम बुद्ध के प्रेम पथ, महावीर के अहिंसा संकल्प और महात्मा गांधी के सत्य मार्ग पर चलने का प्रयास कर रहे है।इस यात्रा में हमे कठिन सामाजिक और राजनीतिक विभीषिकाओं से भी गुजरना पड़ सकता है लेकिन मानवता, नैतिकता और वैज्ञानिक सोच से कभी दूर नही होंगे।हमारी दृ ष्टि में समभाव होगा और सोच में निरबैर।अच्छी शिक्षा उपलब्ध करवाने का प्रयास हम कभी नही छोड़ेंगे।
अंत तक नही…

द ग्रीन प्लानेट, प्रबंधन