23 वर्षो से विद्यालय के नाम दो कट्ठा जमीन है रजिष्ट्री, फिर भी अभी तक नहीं बना भवन


सेटिंग- गेटिंग से चल रहा था विद्यालय,जब मीडिया में आई स्कूल की खबर तो हो गया शिफ्ट


पूर्व मे प्रकाशित खबर :- झोपड़ी में संचालित हो रहा है एक विद्यालय
http://www.brajeshkibaat.com/2018/05/blog-post_53.html?m=1

सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) ब्रजेश भारती की रिपोर्ट :-


पूर्व कोशी तटबंध के अंदर स्थित मुरलाडीह के ग्रामीणों ने अपने अथक प्रयास से वर्षों पूर्व एक नव प्राथमिक विद्यालय की स्थापना सरकार से यह सोच कर करवाने में कामयाब हो गया कि अब यहां के बच्चे भी शिक्षा ग्रहण से वंचित नहीं रहेंगे।

बकायदा एक ग्रामीण महावीर यादव ने विद्यालय के लिए दो कट्ठा जमीन सन 1995 में रजिष्ट्री कर दी। 2006 से विद्यालय नियमित रूप से संचालित भी होने लगा लेकिन अब तक वहां विद्यालय भवन नहीं बन सका जिसकी वजह से गत दिनों विद्यालय को वहां से वगल के मध्य विद्यालय कठडुमर में हस्तांतरित कर दिया गया।

इसी के विरोध में वहां के ग्रामीणों व बच्चों में आक्रोश व्याप्त है लोगों का कहना है कि हम लोग दुसरे जगह पढ़ने बच्चों को नहीं भेजेंगे। इसको लेकर जिला अधिकारी तक का घेराव करेंगे।

क्या है पुरा मामला –

कठडुमर पंचायत के मुरलाडीह में तत्कालीन व वर्तमान विधायक महिषी प्रो अब्दुल गफूर के सहयोग से ग्रामीणों ने नव प्राथमिक विद्यालय की स्थापना सन 1990 में करवाया था। सन 95 में विद्यालय को जमीन भी मिल गई। विधायक ने एक समुदायिक भवन में तत्काल स्कूल संचालन के लिए स्वीकृत कर दिया। (हालांकि अभी तक वह भवन लिल्टर तक बन अधुरा परा है) फिर 2006 में जब राज्य सरकार के द्वारा शिक्षक बहाली प्रक्रिया प्रारंभ हुई तो मुरलाडीह में भी शिक्षक के रूप में कुमारी अनुपम की बहाली हुई। बतौर ग्रामीण विद्यालय भवन निर्माण के लिए शिक्षा विभाग से राशि भी दी गई।

क्या कहते हैं ग्रामीण –

ग्रामीण जितेंद्र कुमार यादव, उपमुखिया निशा देवी, कारी देवी, फेकन शर्मा, दरकन पासवान, हीरा यादव, मुरारी यादव, रेणु देवी सहित अन्य लोगों का कहना है कि प्राधानाध्यापिका कुमारी अनुपम के द्वारा भवन मद की राशि की निकासी कर अपने निजी कार्य में इस्तेमाल कर भवन निर्माण को टाल मटोल करते करते वर्षों बीता दी। जब भी सजग ग्रामीण भवन निर्माण के संबंध में पुछताछ करते तो टाल मटोल करते कुछ दिनों में भवन निर्माण शुरू कर देने की बात कह दी जाती रही। यह टाल मटोल करीब आठ वर्षों तक चलता रहा। लेकिन विद्यालय भवन निर्माण नहीं शुरू किया गया। बाद में बताया गया कि भवन मद की राशि विभाग को लौटा दी गई।

ग्रामीणों का साफ कहना है कि एचएम की मनमर्जी से विद्यालय में बच्चों को पोशाक, छात्रवृत्ति राशि का अब तक भुगतान नहीं किया गया है। इतना ही नहीं खिचड़ी योजना में भी जमकर धांधली बरती  जा रही है। बच्चों की उपस्थिति से ज्यादा हाजरी बनाई जाती है।

अब जब ग्रामीण सजग हुऐ तो एक सोची समझी रणनीति के तहत एचएम विभाग से मिलीभगत कर विद्यालय को वहां से वगल के मध्य विद्यालय में शिफ्ट करवा लिया है। लेकिन ये हमलोग कतई नहीं होने देंगे चाहें जहां भी हम लोगों को जाना पड़े।

क्या कहते है बीइओ –

प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि राज्य सरकार का ही आदेश है कि ऐसे विद्यालय जिनको अपना भवन नही है बगल के विद्यालय में शिप्ट कराये एवं पठन-पाठन करे। भवनहीन विद्यालय में बच्चे को पढ़ने एवं दोपहर के भोजन की समस्या होती है। जहां तक भवन क्यों नहीं बनाया गया राशि की क्या स्थिति है इन सब बातों की जांच करवाई जाएगी दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।