लूटकांड के दो नामजद को गिरफ्तार कर छोड़ देना बना चर्चा का विषय

सांसद कैसर के आवास से घर लौट रहे कैंजरी गांव निवासी आधा दर्जन लोगों के साथ 11 अप्रैल की रात हुई थी बारदात 

पीड़ित ने तीन नामजद बदमाशों को लूटकांड का बनाया था प्राथमिक अभियुक्त

ओपीध्यक्ष ने कहा दोनों को पी आर बॉन्ड पर छोड़ा गया है

सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) से ब्रजेश भारती की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट :-

अनुमंडल क्षेत्र के बनमा-ईटहरी प्रखंड के रसलपुर गांव के समीप 11 अप्रैल की रात आधा दर्जन से अधिक हथियार बंद बदमाशों ने राहगीर के साथ लूटपाट की घटना को अंजाम देने वाले सलखुआ थाना कांड संख्या 66/18 के प्राथमिकी के तीन नामजद आरोपी को गिरफ्तारी कर एक को जेल बाकी दो को पी आर बॉन्ड पर बेल देने का मामला चर्चा का विषय बन गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार उपरोक्त लूटकांड के बाद पुलिस तुरंत हड़कत में आ लगातार छापेमारी शुरू कर दिया। पुलिस ने बनमा अोपी क्षेत्र व बख्तियारपुर थाना क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों से करीब आधा दर्जन लोगों को हिरासत में लिया जिससे उपरोक्त कांड का तीन नामजद आरोपी गौतम यादव, संतोष चौधरी एवं मुसहरू यादव भी सामिल था। सभी हिरासत में लिये गये लोगों से कड़ी पुछताछ की गई जिसमें दो लोगों को छोड़ दिया गया। वही शनिवार को तीन नामजद व एक अन्य लोगों में से दो लोग जिनमें एक नामजद गौतम यादव व एक अन्य अरबिंद यादव को जेल भेज दिया वहीं मुसहरू यादव व संतोष चौधरी को थाने में पी आर बांड बना छोड़ दिया।

दो आरोपी जिसको भेजा गया जेल

वही दोनों नामजदों को पी आर बांड पर थाने से छोड़ देने के बाद आमलोगों में जितनी मुंह उतनी बातें करने लगे। कई ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इस मामले में डील हुआ है। यह क्या है कि दो व्यक्ति को जो कांड का आरोपी है उसे पुलिस थाने से छोड़ दिया जाता है वही एक आरोपी को न्यायालय में प्रस्तुत किये बगैर छोड़ दिया यह सोचनिय विषय है।

बनना ओपीध्यक्ष प्रभाष कुमार

हालांकि ओपीध्यक्ष प्रभाष कुमार का कहना है कि दोनों नामजदों को पी आर बांड पर छोड़ा गया है। जब भी दोनों की जरूरत होगी वह पुलिस के समक्ष उपस्थित होगा।

वही डीएसपी अजय नारायण यादव ने बताया यह प्रकरण मेरे संज्ञान में है। लूटकांड का गहन जांच चल रहा है। कोई निर्दोष नहीं फंसे इस बिंदु पर पुलिस की नजर है। उपरोक्त लूटकांड में कई चिन्हित किये गये है। दो की गिरफ्तारी हुई है। बाकी को जल्द हिरासत में ले लिया जायेगा।

जिन लोगों के साथ घटित हुई थी लूट की बारदात

क्या कहना है जानकार का –

कानूनी जानकार बताते हैं कि मामले दो तरह के होते हैं – जमानती और गैर जमानती। आमतौर पर मामूली अपराध जैसे मारपीट, धमकी, लापरवाही से हुई मौत आदि के मामले जमानती अपराध की कैटिगरी में आते हैं। एक वकील ने बताया कि सीआरपीसी में एक सूची बनाई गई है कि कौन-कौन से अपराध जमानती हैं। ऐसे मामलों में आरोपी को जमानत का अधिकार होता है। गिरफ्तारी होने पर थाने से ही जमानत मिल सकती है। थाने का इंचार्ज बेल बॉन्ड भरने के लिए कह सकता है और बेल बॉन्ड भरने के बाद जमानत मिल जाती है।

गंभीर मामलों में नहीं मिलती जमानत –

दूसरे मामले गैर-जमानती होते हैं। गैर-जमानती अपराध होने पर मामला मैजिस्ट्रेट के सामने जाता है। अगर मैजिस्ट्रेट को लगता है कि मामले में फांसी या उम्रकैद तक की सजा हो सकती है तो वह जमानत नहीं देता। इससे कम सजा के प्रावधान वाले मामले में मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट की अदालत केस के मेरिट के हिसाब से जमानत दे सकती है। सेशन कोर्ट किसी भी मामले में जमानत अर्जी स्वीकार कर सकता है।

वकील की मानें तो चुंकि यह कांड धारा 415/395 में दर्ज है ऐसे मामले में थाने से बेल बांड पर नहीं छोड़ा जा सकता है। अगर छोड़ दिया गया है तो यह गंभीर मामला है जांच की जा सकती है।

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