प्रखंड से लेकर जिला तक जमीन दान में देने के लिए चक्कर काट चुका है महादलित वासुदेव सादा

अब जमीन नहीं मिलने के कारण स्कूल को दुसरे जगह शिफ्ट करने की चल रही तैयारी

सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) से ब्रजेश भारती की रिपोर्ट :-

अक्सर आपने शिक्षा विभाग को अपने एक से बढ़कर एक अनोखे कारनामो की वजह से चर्चा में रहते देखा व सुना होगा। इसी अध्याय को आगे बढ़ाते हुए इस एक भी एक अनोखे वजह से आम लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।

12 साल पहले वर्ष 2006 में एक विद्यालय का स्थापना सरकार ने किया। कुछ दिन यू ही विद्यालय चलने के बाद जब भवन निर्माण के लिए जमीन की जरूरत हुई तो एक जमीन दाता ने अपनी दस डिसमल जमीन दान स्वरूप विद्यालय के नाम करने के लिए तैयार हुआ। बकायदा जमीन देने के लिए प्रखंड से लेकर जिला तक लिखित आवेदन के साथ दफ्तर का चक्कर काटते काटते थक गया लेकिन जमीन अधिग्रहण के लिए किसी ने सुधि नहीं ली। अंत में थक हार मीडिया से अपनी गुहार लगाई है।

 यह मामला है सहरसा जिले के बनमा ईटहरी प्रखंड के नव प्राथमिक विद्यालय सहुरिया हरिजन टोला की। इस विद्यालय की स्थापना का नोटिफिकेशन वर्ष 2006 ईं में हुआ था। स्कूल में हेडमास्टर सहित दो शिक्षक चन्द्रशेखर पोद्दार और वकील पासवान कार्यरत है। जिसमें करीब 187 बच्चे अभी नामांकित है।

जमीन दाता ने जिला पदाधिकारी को वर्षों पहले दिया निबंधन करने के लिए आवेदन  –

जमीनदाता सहुरिया गांव निवासी वासदेव सादा ने अगस्त 2017 में जिला पदाधिकारी को जमीन निबंधन के संबंध में दिये आवेदन में कहा है कि नव प्राथमिक विद्यालय सहुरिया हरिजन टोला के विद्यालय भवन निर्माण हेतु मैं अपना 10 डीसमल खतियानी जमीन माननीय राज्यपाल बिहार सरकार के नाम से नि:शुल्क दान में देना चाहता हूं। जिसके लिए मेरे जमीन को निबंधन हेतु स्वीकृति प्रदान करने की कृपा की जाए। लेकिन अब तक कोई कार्यवाही इस दिशा में नहीं हुआ।

कहते हैं हेडमास्टर –

हेडमास्टर चन्द्रशेखर पोद्दार ने बताया कि जमीनदाता जमीन दान में देने के लिए स्कूल को तैयार है। इसके लिए हमने और जमीन दाता ने वर्षों से प्रखंड से लेकर ऊपर के सभी पदाधिकारी हो या अधिकारियों सभी को आवेदन देते-देते थक हार चुके हैं लेकिन किसी प्रकार की अब तक कोई सुनवाई नहीं हो पाया है। लिहाजा अब भी भवन व जमीन विहिन जगहों पर झोपड़ी में स्कूल संचालित किया जा रहा है।