शव गांव पहुंचते ही गमहीन हो गया माहौल,पुत्र ने दी मुख्आग्नि 


विषम परिस्थितीयों में यह संगठन दुर्गम सीमावर्ती ईलाकों में आवागमन का कार्य करती है

सिमरी बख्तियारपुर(सहरसा) से ब्रजेश भारती की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट :-

अनुमंडल क्षेत्र के सोनपुरा गांव निवासी सड़क सीमा संगठन(बीआरओ) कर्मी रंजीत कुमार की मौत शनिवार शाम पश्चिम बंगाल के दार्जिलींग में एक सड़क हादसे में हो गई। कर्मी रंजीत की मौत उस वक्त हुई जब वह ड्योटी पर तैनात थे।

सोमवार को मृतक का पार्थिव शरीर उसके गांव सोनपुरा पहुंचते ही पुरा वातावरण गमहीन हो गया। स्थानिय लोगो ने पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजली देते हुये अंतिम दाह संस्कार में शामिल हुये।

परिजनों ने बताया कि मृतक रंजीत 2004 में सडक सीमा संगठन में सिपाही कर्मी के पद पर बहाल हुआ था। वह दार्जिलींग में कार्यारत थे शनिवार को सड़क निर्माण के समय ड्योडी पर तैनाती के क्रम में सड़क हादसे का शिकार हो जाने से उसकी मौत हो गई।

शनिवार को ही मौत की खबर फोन पर मिली थी।
सोमवार को गांव शव लाया गया जहां उसके पुत्र ने मुख्आग्नि दे अंतिम संस्कार किया गया। वे अपने पीछे पत्नी रंभा देवी, दो पुत्र एवं भाई-बहनों से भरा पूरा परिवार छोड़ कर चले गए हैं।

उनकी मौत से समुचा गांव मर्माहत है। वही राजद के प्रदेश युवा राष्ट्रीय महासचिव सोनपुरा निवासी अजय कुमार सिंह ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि रंजीत गांव का युवा चिराग बुझ था जो समय से पहले बुझ गया। उन्होंने सरकार से मांग की है कि मृतक परिवार को मुआवजे के साथ उनके परिजन को सरकारी नौकरी दी जाए।

वही अधिवक्ता सुरेश कुमार सिंह, दीपक सिंह, अंगद सिंह, दिनेश सिंह, पिंटू सिंह, जलधर प्रसाद सिंह, आदि ने शोक व्यक्त करते हुये उचित मुआवजा की मांग सरकार से किया है।

रक्षा मंत्रालय के अन्तगर्त यह संगठन है उपेक्षित

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि दुर्गम इलाके में सड़कें केवल सीमेंट व कंक्रीट से ही नही बल्कि भारत के सीमा सड़क संगठन के लोगों के खून से भी बनी है । बहुत से लोगों ने काम के दौरान अपनी जान गवांई है । खतरों से खेलने वाले व मौत पर हंसने वाले इन लोगों के लिए कर्तव्य सबसे पहले है । अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए तथा पड़ोसियों की खुशहाली की कामना करने वाले इस संगठन के नायक भारत माता के हर हिस्से से आए लोग इस में शामिल होते है।

क्या हैं सड़क सीमा संगठन –

सीमा सड़क संगठन, (बीआरओ) की शुरुआत 1960 में प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इस संगठन का उद्देश्य देश की उत्तरी और पूर्वोत्तर क्षेत्र के सीमा क्षेत्रों में सड़कों का त्वरित निर्माण और विकास करना है संगठन को देश की सुरक्षा और एकता को बनाये रखने की दिशा में राष्ट्र निर्माण, राष्ट्रीय एकता और इसके अभिन्न घटक के प्रतीक के रूप में माना जाता है। इस संगठन को 60 के दशक में हिमालय क्षेत्र में सड़क निर्माण एजेंसी के रूप में शुरू किया गया था। लेकिन यह संगठन कई विकासात्मक परियोजनाओं के निर्माण एयरफील्ड, रक्षा कार्य और सुरंगें बनाने के कार्य करके लोगों का प्रिय हो गया। 1961 में यह दो छोटी परियोजनाओं से शुरू हुआ था पहली पूर्व (वर्तक) और उसकी उत्तर में (बीकन) आज देश में इसकी 15 प्रमुख इंजीनियर परियोजनाएं फैली हुई हैं।