Bank Locker 2025: 1 स्कीम और 5 लाख का मुआवजा, सपना होगा सच अगर अभी किया अप्लाई

Agnibho

Bank Locker 2025

ज्यादातर लोग अपने गहने, जरूरी दस्तावेज, महंगे वस्त्र या अन्य मूल्यवान वस्तुएं बैंक लॉकर में रखते हैं, ताकि चोरी, आग या अन्य किसी भी अनहोनी से बचा जा सके।

परंतु कभी–कभी खबरें आती हैं कि किसी ग्राहक का बैंक लॉकर से सामान गायब हो गया, या किसी घटना में उसकी वस्तुएं नष्ट हो गईं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि अगर लॉकर से कोई कीमती सामान चोरी हो जाए या किसी अन्य वजह से नुकसान हो जाए, तो ग्राहक को बैंक से कितना मुआवजा मिलेगा? क्या इसके लिए कोई सरकारी नियम हैं और बैंक की जिम्मेदारी कितनी बनती है? आइए जानते हैं नए नियमों के बारे में।

कीमती सामान गायब होने पर कितना मिलेगा मुआवजा?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंक लॉकर से जुड़े मुआवजे को लेकर विस्तृत और स्पष्ट नियम बनाए हैं।
इन नियमों के अनुसार, अगर बैंक की लापरवाही, सुरक्षा में चूक, चोरी, डकैती या इमारत के गिरने जैसी घटना से लॉकर में रखा आपका सामान खो जाता है, तो बैंक ग्राहक को मुआवजा देने का जिम्मेदार माना जाएगा।

मुआवजे की राशि लॉकर के सालाना किराए के 100 गुना तक हो सकती है।
उदाहरण के लिए, अगर किसी का सालाना लॉकर किराया 3,000 रुपये है, तो बैंक अधिकतम 3 लाख रुपये तक का मुआवजा देने के लिए बाध्य होगा। हालांकि, लॉकर में रखा सामान चाहे जितना कीमती हो – बैंक की जिम्मेदारी अधिकतम तय सीमा तक की ही होती है।

यह मुआवजा उन्हीं मामलों में मिलेगा जब नुकसान बैंक की ओर से लापरवाही या सिस्टम की खामी के कारण हुआ हो।
अगर किसी ग्राहक की खुद की लापरवाही, जैसे लॉकर की जानकारी किसी दूसरी पार्टी के साथ साझा करना, नुकसान का कारण बनती है, तो वैसी स्थिति में बैंक जवाबदेह नहीं होता।

किन हालातों में मिलता है मुआवजा?

कई ऐसी स्थितियां होती हैं जहां बैंक को ग्राहक को मुआवजा देना होता है:

1. चोरी और डकैती:
अगर बैंक के परिसर में हुई चोरी या डकैती में लॉकर का सामान गायब होता है तो बैंक जिम्मेदार होगा।

2. इमारत का गिरना या कोई दुर्घटना:
अगर बैंक की इमारत गिर जाती है या कोई ऐसी दुर्घटना हो जाती है, जो बैंक की लापरवाही, रखरखाव की कमी या सुरक्षा व्यवस्था की गलती के कारण हुई हो।

3. कर्मचारियों द्वारा गड़बड़ी:
अगर यह साबित हो जाए कि बैंक के ही किसी कर्मचारी ने लॉकर से छेड़छाड़ कर सामान निकाल लिया है या धोखाधड़ी की है।

इन सभी हालातों में बैंक ग्राहक को अधिकतम मुआवजा देने का जिम्मेदार होता है।

किन परिस्थितियों में बैंक की जिम्मेदारी नहीं बनती?

कुछ स्थितियां ऐसी होती हैं जिनमें बैंक किसी भी तरह का मुआवजा देने के लिए बाध्य नहीं होता।
जैसे:

  • प्राकृतिक आपदाएं, जैसे बाढ़, भूकंप, आग या तूफान
  • विध्वंस या आतंकवाद जैसी घटनाएं जो मानव काबू से बाहर हों
  • ग्राहक की ओर से जानकारी लीक होना या लॉकर की चाबी किसी और को सौंपना

इन परिस्थितियों में यह माना जाता है कि बैंक की ओर से कोई गलती नहीं हुई है। इसलिए ऐसे मामलों में ग्राहक को मुआवजा नहीं मिलता।

कैसे की जाती है मुआवजे की गणना?

RBI के नियम के अनुसार मुआवजा लॉकर के सालाना किराए के आधार पर तय होता है।
मूल रूप से मुआवजा अधिकतम लॉकर किराए के 100 गुना तक ही सीमित रहेगा।

उदाहरण के तौर पर:

  • अगर लॉकर किराया ₹2,000 है, तो मुआवजा अधिकतम ₹2 लाख तक मिलेगा।
  • अगर किराया ₹5,000 है, तो अधिकतम ₹5 लाख का मुआवजा मिलेगा।

यह नियम सभी राष्ट्रीयकृत और निजी बैंकों में लागू होता है।

क्या मुआवजा काफी है? क्या करना चाहिए?

कई बार लॉकर में रखे गहनों या कागजात की कीमत लाखों से भी ज्यादा होती है।
ऐसी स्थिति में सिर्फ लॉकर किराए के आधार पर मिले मुआवजा अक्सर नुकसान की भरपाई नहीं कर पाता।

इसलिए ये सलाह दी जाती है कि:

  • लॉकर में रखे कीमती सामान का बीमा करवा लें।
  • बीमा कंपनियां गहनों या अन्य बेशकीमती वस्तुओं के लिए स्पेशल योजना देती हैं।

बीमा होने पर लॉकर में नुकसान होने पर इंश्योरेंस कंपनी से भी क्लेम मिल सकता है, जो बैंक के मुआवजे से अलग होता है।

सुविधा लेने की शर्तें

बैंक में लॉकर की सुविधा लेने के लिए कुछ शर्तें होती हैं:

  • ग्राहक का पहले से उस बैंक में खाता होना चाहिए।
  • लॉकर किराया उसके साइज और लोकेशन पर निर्भर करता है।
  • मेट्रो सिटी में किराया ज्यादा हो सकता है, जबकि छोटे शहरों में कम।
  • कुछ बैंक सिक्योरिटी डिपॉजिट भी मांगते हैं, जिसकी राशि लॉकर लौटाने पर वापस की जाती है।

क्या नहीं रखना चाहिए?

RBI के अनुसार, लॉकर में नकद (कैश) रखने की सख्त मनाही है।
लॉकर में केवल जेवरात, जरूरी दस्तावेज, वसीयत, क़ीमती चीजें ही रखी जा सकती हैं।

कोई भी अवैध वस्तु, कॉन्ट्राबैंड या कैश लॉकर में पाए जाने पर बैंक उस लॉकर को सील भी कर सकता है और ग्राहक पर कार्रवाई की जा सकती है।

निष्कर्ष

अगर लॉकर में रखा सामान बैंक की गलती, लापरवाही या धोखाधड़ी से चोरी होता है, तो बैंक अधिकतम 100 गुना तक मुआवजा देगा।
हालांकि ध्यान रखें कि यह मुआवजा की सीमा लॉकर किराये के आधार पर तय होती है।

सही जानकारी और सावधानी से ही लॉकर सेवाओं का लाभ उठाएं और कीमती सामान का बीमा कराना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है। इससे किसी भी अनहोनी की स्थिति में आपका हित सुरक्षित रह सकेगा।

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