पटना: बिहार जल्द ही अपने पहले परमाणु ऊर्जा संयंत्र की मेजबानी करने वाला है। राज्य सरकार ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए बांका जिले को चुना है और केंद्र को प्रस्ताव भेज दिया है। पहले इसी स्थान पर 4000 मेगावाट का अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट प्रस्तावित था, लेकिन वह अमल में नहीं आ सका। अब यहां न्यूक्लियर पावर प्लांट स्थापित करने का निर्णय लिया गया है।
केंद्र ने दी हरी झंडी
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पिछले सप्ताह पटना में आयोजित पूर्वी भारत के ऊर्जा मंत्रियों की बैठक में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बिहार में स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) के जरिए परमाणु संयंत्र लगाने की सहमति दी। यह निर्णय बिहार के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव की मांग पर लिया गया।
क्यों चुना गया बांका?
राज्य सरकार और बिजली कंपनियों ने कई संभावित स्थलों का अध्ययन किया, जिसमें बांका सबसे उपयुक्त पाया गया। इसकी प्रमुख वजह यहां जल स्रोतों की पर्याप्त उपलब्धता है, जो परमाणु संयंत्र के लिए एक बड़ी आवश्यकता है। इसके विपरीत, पहले प्रस्तावित रजौली (नवादा) में सालभर पर्याप्त पानी की आपूर्ति में दिक्कतें थीं।
अगला चरण: साइट सर्वेक्षण
केंद्र सरकार की एक टीम जल्द ही बांका पहुंचकर संभावित साइट का सर्वेक्षण करेगी। इसके बाद परियोजना की औपचारिक शुरुआत की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। यह संयंत्र न सिर्फ बिहार की बिजली आपूर्ति को मजबूत करेगा, बल्कि राज्य में ऊर्जा क्षेत्र को एक नई दिशा भी देगा।
इस परियोजना से बिहार के औद्योगिक विकास को भी गति मिलने की उम्मीद है, साथ ही रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। अब केंद्र और राज्य सरकार के बीच तालमेल से इस महत्वाकांक्षी योजना को जमीन पर उतारने की तैयारी शुरू हो गई है।