Property Registry Documents 2025: 6 Step में 2 फायदे, घर खरीदने वालों के लिए अलर्ट

Agnibho

Property Registry Documents 2025

हर किसी का सपना होता है कि उसका अपना घर या जमीन हो। लोग अपनी पूरी जिंदगी की कमाई लगाकर प्रॉपर्टी खरीदते हैं। लेकिन अगर रजिस्ट्री के समय जरूरी दस्तावेजों की जांच नहीं की गई, तो यह सपना बड़ी परेशानी में बदल सकता है। भारत में हर साल हजारों लोग प्रॉपर्टी खरीदते हैं, लेकिन जानकारी की कमी या जल्दबाजी के कारण कई बार लोग ऐसी गलती कर बैठते हैं, जिससे भविष्य में कानूनी विवाद, बैंक लोन में दिक्कत या संपत्ति के मालिकाना हक पर सवाल उठ सकते हैं।

रजिस्ट्री (Property Registry) केवल एक कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि आपकी मेहनत की कमाई की सुरक्षा का सबसे अहम कदम है। अगर रजिस्ट्री के समय दस्तावेजों की जांच में लापरवाही हो जाए, तो फर्जी रजिस्ट्री, डबल रजिस्ट्री, बकाया टैक्स, गलत टाइटल जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं। इसलिए, अगर आप भी घर या जमीन खरीदने जा रहे हैं, तो रजिस्ट्री से पहले इन जरूरी दस्तावेजों और बातों की जांच जरूर करें, ताकि भविष्य में कोई परेशानी न आए।

Property Registry Documents 2025

दस्तावेज का नामविवरण
सेल डीड (Sale Deed)खरीद-बिक्री का मुख्य कानूनी दस्तावेज
टाइटल डीड (Title Deed)प्रॉपर्टी के मालिकाना हक का प्रमाण
एनओसी (No Objection Certificate)संबंधित प्राधिकरणों/सोसाइटी से अनुमति
टैक्स रसीदें (Tax Receipts)संपत्ति कर, हाउस टैक्स आदि की रसीदें
आईडी प्रूफ (ID Proof)आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी आदि
एड्रेस प्रूफ (Address Proof)बिजली बिल, पानी बिल, पासपोर्ट आदि
एनकंब्रेंस सर्टिफिकेटप्रॉपर्टी पर कोई लोन या बकाया नहीं
गवाहों के दस्तावेजदोनों गवाहों की आईडी और एड्रेस प्रूफ
म्युटेशन सर्टिफिकेट (Mutation Cert.)नामांतरण के लिए आवश्यक
पजेशन लेटर (Possession Letter)कब्जा प्रमाण पत्र (खासकर फ्लैट में)
ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (OC)बिल्डिंग रहने लायक है या नहीं

प्रॉपर्टी रजिस्ट्री क्या है?

प्रॉपर्टी रजिस्ट्री वह कानूनी प्रक्रिया है जिसमें खरीदार और विक्रेता के बीच संपत्ति के स्वामित्व का अधिकार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को ट्रांसफर होता है। यह प्रक्रिया भारतीय रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 के तहत होती है, जिसमें रजिस्ट्री ऑफिस में जरूरी दस्तावेज जमा कर, स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान करना होता है। रजिस्ट्री के बाद ही खरीदार को संपत्ति पर कानूनी अधिकार मिलता है और वह भविष्य में संपत्ति को बेच, ट्रांसफर या मॉर्गेज कर सकता है।

अगर रजिस्ट्री के समय दस्तावेज पूरे या सही नहीं हैं, तो आपकी प्रॉपर्टी पर कानूनी संकट आ सकता है, बैंक लोन नहीं मिलेगा, या भविष्य में संपत्ति विवादों में फंस सकती है।

किन बातों की जांच जरूरी है?

  • प्रॉपर्टी टाइटल और ओनरशिप की जांच:
    सबसे जरूरी है कि जिस प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करा रहे हैं, उसका टाइटल साफ हो। विक्रेता के पास पूरा मालिकाना हक होना चाहिए। पुराने मालिकों की डिटेल्स और ट्रांजैक्शन हिस्ट्री जरूर देखें। अगर टाइटल चेन में कोई गड़बड़ी है, तो आगे चलकर कानूनी विवाद हो सकता है।
  • सभी जरूरी दस्तावेज पूरे और सही हों:
    सेल डीड, टाइटल डीड, एनओसी, टैक्स रसीदें, आईडी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ, एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट आदि सभी दस्तावेज पूरे और सही होने चाहिए। कोई भी दस्तावेज अधूरा या गलत है तो रजिस्ट्री रुक सकती है या बाद में रद्द भी हो सकती है।
  • म्युटेशन सर्टिफिकेट जरूर लें:
    रजिस्ट्री के बाद प्रॉपर्टी का नाम सरकारी रिकॉर्ड में बदलवाना जरूरी है। इसके बिना आपको संपत्ति पर पूरा अधिकार नहीं मिलता और न ही आप भविष्य में संपत्ति बेच सकते हैं।
  • पजेशन लेटर और ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट:
    बिल्डर प्रोजेक्ट्स में पजेशन लेटर और नगर निगम/विकास प्राधिकरण से ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जरूर लें। इससे साबित होता है कि आपको प्रॉपर्टी का कब्जा मिल चुका है और बिल्डिंग रहने लायक है।
  • एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट:
    यह दिखाता है कि प्रॉपर्टी पर कोई लोन, लीगल केस या दावा नहीं है। खरीद से पहले जरूर जांचें।
  • बकाया टैक्स और बिल:
    प्रॉपर्टी टैक्स, बिजली-पानी के बिल आदि बकाया न हों। ये भी रजिस्ट्री के समय जांचें।
  • गवाहों की सही जानकारी:
    रजिस्ट्री के समय दोनों गवाहों की आईडी और एड्रेस प्रूफ भी जरूरी हैं।

क्यों जरूरी है सभी दस्तावेजों की जांच?

  • कानूनी सुरक्षा:
    सही दस्तावेजों के बिना प्रॉपर्टी पर आपका कानूनी हक साबित नहीं हो सकता।
  • बैंक लोन और रीसैल:
    अधूरे या गलत दस्तावेजों के कारण बैंक लोन नहीं मिलेगा और भविष्य में प्रॉपर्टी बेचना मुश्किल हो सकता है।
  • कानूनी विवाद से बचाव:
    दस्तावेजों की जांच से फर्जीवाड़ा, डबल रजिस्ट्री, बकाया टैक्स जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है।

महत्वपूर्ण कानून

  • रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 के तहत 100 रुपये से अधिक मूल्य की अचल संपत्ति की रजिस्ट्री अनिवार्य है।
  • बिना रजिस्ट्री के दस्तावेज कोर्ट में सबूत के तौर पर मान्य नहीं होते और न ही संपत्ति पर आपका कानूनी अधिकार बनता है।
  • रजिस्ट्री के लिए निर्धारित समय सीमा 4 महीने है, अगर देरी हो जाए तो आवेदन देकर रजिस्ट्री कराई जा सकती है।

कौन-कौन से दस्तावेज जरूरी हैं?

  • म्युटेशन सर्टिफिकेट:
    सरकारी रिकॉर्ड में नाम चढ़वाना जरूरी है।
  • पजेशन लेटर:
    कब्जा प्रमाण पत्र (खासकर फ्लैट में)।
  • ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट:
    बिल्डिंग के रहने लायक होने का प्रमाण।
  • प्रॉपर्टी टैक्स रसीद और यूटिलिटी बिल:
    बकाया न हो, यह देखना जरूरी है।

इन बातों का रखें खास ध्यान

  • सभी दस्तावेजों की जांच खुद करें या वकील की मदद लें।
  • विक्रेता के पास प्रॉपर्टी का पूरा मालिकाना हक हो, यह सुनिश्चित करें।
  • सरकारी रिकॉर्ड में नाम बदलवाएं (म्युटेशन)।
  • सभी टैक्स और बिल क्लियर हों।
  • गवाहों की सही जानकारी और दस्तावेज रखें।

Disclaimer:

यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से है। प्रॉपर्टी रजिस्ट्री एक वास्तविक और कानूनी प्रक्रिया है, लेकिन अगर दस्तावेजों की जांच में लापरवाही हो जाए तो बड़ी परेशानी आ सकती है। रजिस्ट्री के समय सभी दस्तावेजों की जांच खुद करें या किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। कोई भी प्रॉपर्टी डील करने से पहले पूरी जानकारी और सतर्कता बरतें।

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