आज के समय में चेक का इस्तेमाल पैसों के लेन-देन के लिए आम बात है। बिज़नेस, किराया, वेतन, लोन या किसी भी बड़ी पेमेंट के लिए लोग अक्सर चेक का सहारा लेते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि चेक बैंक में जमा करने के बाद भी क्लियर नहीं होता, यानी चेक बाउंस हो जाता है। इससे न सिर्फ पैसे की दिक्कत आती है, बल्कि कानूनी पचड़े में भी फंस सकते हैं।
भारत में चेक बाउंस के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही थी। इससे कोर्ट पर बोझ बढ़ रहा था और पीड़ितों को समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने 2025 में चेक बाउंस मामलों को लेकर नए और सख्त नियम लागू किए हैं। इन नियमों का मकसद है – मामलों का जल्द निपटारा, दोषियों पर सख्त कार्रवाई, और डिजिटल प्रक्रिया को बढ़ावा देना। आइए, जानते हैं कि चेक बाउंस के नए नियम क्या हैं, सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी क्या है और अब आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
Cheque Bounce Rule 2025
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चेक बाउंस तब होता है जब बैंक किसी चेक को क्लियर करने से मना कर देता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:
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खाते में पर्याप्त बैलेंस न होना
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गलत सिग्नेचर या ओवरराइटिंग
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चेक की वैधता समाप्त होना (Expired Cheque)
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अकाउंट ब्लॉक या तकनीकी गड़बड़ी
अगर आपका चेक बाउंस होता है, तो यह केवल एक वित्तीय गलती नहीं, बल्कि एक कानूनी अपराध भी है, जिसके लिए सजा और जुर्माने का प्रावधान है.
सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी और नए नियम
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अब चेक बाउंस के मामलों में कोई ढील नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने कहा है कि:
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बार-बार चेक बाउंस करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
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अब मामलों की सुनवाई जल्दी होगी, ताकि पीड़ित को समय पर न्याय मिले।
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डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए केस फाइलिंग और ट्रैकिंग संभव होगी, जिससे प्रक्रिया पारदर्शी और तेज़ होगी.
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स्पेशल कोर्ट्स बनाई जा रही हैं, जो सिर्फ चेक बाउंस मामलों की सुनवाई करेंगी.
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दोषी को अब सीधे जेल भेजने की बजाय पहले सुधार का मौका मिलेगा, लेकिन अगर बार-बार गलती दोहराई गई तो सख्त सजा तय है.
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अब चेक बाउंस के मामलों में समय सीमा तय कर दी गई है, जिससे केस सालों-साल नहीं चलेगा.
ओवरव्यू
बिंदु | विवरण |
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लागू करने वाली संस्था | भारत का सुप्रीम कोर्ट |
कानून | नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 (Section 138-142) |
नया संशोधन | 2025 में लागू, त्वरित सुनवाई और सख्त दंड |
केस फाइलिंग | डिजिटल प्लेटफॉर्म से, ऑनलाइन ट्रैकिंग |
सजा | जुर्माना (चेक राशि का दोगुना) या 2 साल तक जेल, या दोनों |
नोटिस की समय सीमा | चेक बाउंस के 30 दिन के भीतर नोटिस, 15 दिन में भुगतान जरूरी |
केस दर्ज करने की सीमा | नोटिस के 15 दिन बाद, 30 दिन के भीतर केस दर्ज |
स्पेशल कोर्ट्स | देशभर में सिर्फ चेक बाउंस मामलों के लिए विशेष अदालतें |
डिजिटल सबूत | ई-नोटिस, ई-मेल, व्हाट्सएप नोटिस मान्य |
बार-बार बाउंस पर कार्रवाई | तीन बार लगातार बाउंस पर अकाउंट फ्रीज करने का अधिकार |
नियमों की मुख्य बातें
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तेज सुनवाई: अब चेक बाउंस केस में देरी नहीं होगी। कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि ऐसे मामलों की सुनवाई प्राथमिकता से हो और जल्द निपटारा किया जाए.
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डिजिटल फाइलिंग: केस फाइलिंग और ट्रैकिंग अब ऑनलाइन की जा सकती है। इससे कोर्ट के चक्कर कम लगेंगे और पारदर्शिता बढ़ेगी.
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सख्त दंड: अब दोषी को चेक राशि के दोगुने तक जुर्माना या 2 साल तक की जेल, या दोनों सजा मिल सकती है.
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रिपीट ऑफेंडर पर सख्ती: जो लोग बार-बार चेक बाउंस करते हैं, उनके लिए अब राहत नहीं मिलेगी। तीन बार चेक बाउंस होने पर बैंक अकाउंट फ्रीज भी किया जा सकता है.
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मेडिएशन और समझौता: कोर्ट ने कहा है कि दोनों पक्ष आपसी सहमति से मामला सुलझा सकते हैं, जिससे कोर्ट का बोझ कम हो.
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ई-नोटिस और डिजिटल सबूत: अब ई-मेल या व्हाट्सएप के जरिए भेजा गया नोटिस भी कानूनी रूप से मान्य है, बशर्ते डिलीवरी कन्फर्म हो.
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SMS/Email अलर्ट: बैंक अब 24 घंटे के भीतर दोनों पक्षों को SMS और ईमेल से जानकारी देंगे कि चेक क्यों बाउंस हुआ.
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स्पष्टीकरण जरूरी: बैंक को चेक बाउंस का कारण स्पष्ट रूप से बताना होगा.
कानूनी प्रक्रिया
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चेक बाउंस होने पर बैंक लिखित मेमो देता है।
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प्राप्तकर्ता (Payee) को 30 दिन के भीतर लिखित नोटिस भेजना जरूरी है।
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डिफॉल्टर के पास नोटिस मिलने के बाद 15 दिन का समय है रकम चुकाने के लिए।
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अगर 15 दिन में पेमेंट नहीं हुआ, तो 30 दिन के भीतर कोर्ट में केस दर्ज किया जा सकता है.
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अब केस की सुनवाई स्पेशल कोर्ट में होगी और जल्दी निपटारा होगा।
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डिजिटल सबूत और ई-नोटिस मान्य हैं, जिससे प्रक्रिया तेज होगी.
जरूरी सावधानियां
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खाते में पर्याप्त बैलेंस रखें।
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चेक पर सही सिग्नेचर और तारीख डालें।
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ओवरराइटिंग या कटिंग न करें।
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चेक की वैधता जरूर जांचें।
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अगर चेक बाउंस हो जाए, तो तुरंत नोटिस का जवाब दें और रकम चुकाएं।
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बार-बार चेक बाउंस की गलती न दोहराएं, वरना अकाउंट फ्रीज हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि अब चेक बाउंस को हल्के में लेने की गलती न करें। यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि एक गंभीर अपराध है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि अब दोषियों को कोर्ट में सालों-साल घूमने की छूट नहीं मिलेगी। तेज़ ट्रायल, डिजिटल सिस्टम और भारी जुर्माने की सजा तय है.
निष्कर्ष
चेक बाउंस के नए नियमों से न सिर्फ लेन-देन में पारदर्शिता आएगी, बल्कि धोखाधड़ी और लापरवाही पर भी लगाम लगेगी। अगर आप चेक का इस्तेमाल करते हैं, तो इन नियमों का पालन जरूर करें। वरना आपको भारी जुर्माना, जेल और बैंकिंग सेवाओं पर रोक जैसी बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
Disclaimer:
यह लेख सूचना के उद्देश्य से लिखा गया है। चेक बाउंस के नए नियम और सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी पूरी तरह वास्तविक और लागू हैं। ये नियम 2025 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए हैं, जिनका मकसद चेक बाउंस मामलों का जल्द निपटारा और दोषियों पर सख्त कार्रवाई है। कोई भी व्यक्ति या संस्था इन नियमों की अनदेखी करता है, तो उसे गंभीर कानूनी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
कृपया किसी भी कानूनी कार्रवाई से पहले अपने वकील या सलाहकार से परामर्श जरूर करें।