बिहार में बाढ़ की समस्या हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करती है। इस साल भी लगातार भारी बारिश और नदियों के जलस्तर में अचानक बढ़ोतरी से पटना सहित कई जिलों में बाढ़ की भयंकर स्थिति बन गई है। गंगा, पुनपुन, दर्धा और सोन जैसी बड़ी नदियों ने विशाल इलाकों को जलमग्न कर दिया है।
पटना के ग्रामीण क्षेत्र, खासकर दियारा क्षेत्र, फतुहा, दानापुर और मनेर जैसे इलाकों में पानी भर गया है। सड़कें, स्कूल, खेत और घर डूब चुके हैं। कई गांवों का जिला मुख्यालय से पूरी तरह संपर्क टूट चुका है। लोग नावों पर सवार होकर घर की जरूरतें पूरी करने को मजबूर हैं। प्रशासन राहत कार्य में जुटा है लेकिन बाढ़ के विकराल स्वरूप के चलते सब कुछ सुगम नहीं हो पा रहा है।
पटना में बाढ़ की गंभीर स्थिति
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गंगा और उसकी सहायक नदियों में आई उफान ने पटना के आस-पास के कई क्षेत्रों को डूबो दिया है। फतुहा, दियनांवा, मोखामा, मनेर, बख्तियारपुर, बेलछी और अथमलगोला ब्लॉकों में हालात सबसे ज्यादा गंभीर हैं।
यहां कई तटबंध टूट चुके हैं। सिरपतपुर (फतुहा) और निम्मी सिलारपुर (दानियावां) में बांध टूटने से जलजमाव और तेज बहाव ने लोगों को घरों से पलायन पर मजबूर कर दिया है। पटना जिले के कई गांव टापू की तरह फंसे हुए हैं।
स्कूल, सड़कें और सेवाओं पर असर
बाढ़ के पानी के कारण न केवल घर डूबे हैं, बल्कि सरकारी सुविधाएं भी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। दियारा क्षेत्र के कई स्कूल, करीब 78 विद्यालय, पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं। ये बंद कर दिए गए हैं और पढ़ाई ठप्प हो गई है।
स्थानीय सड़कों पर दो-तीन फीट तक पानी भर गया है, जिससे लोगों का पैदल निकलना भी मुश्किल हो गया है। पटना से सटे क्षेत्रों में आवागमन रुक गया है। सरकारी कार्यालयों तक पहुंचना संभव नहीं रहा है और स्वास्थ्य सेवाएं भी सीमित हो गई हैं।
रेलवे पटरियां भी पानी में डूब चुकी हैं, जिससे कई ट्रेनों के रूट बदले गए हैं या उन्हें रद्द किया गया है।
प्रभावित जिलों की स्थिति
पटना के अलावा सारण, भोजपुर, बक्सर, बेगूसराय, वैशाली, खगड़िया, मुंगेर, समस्तीपुर, भागलपुर और कटिहार जैसे जिलों में बाढ़ से गंभीर स्थिति बनी हुई है।
पूरा क्षेत्र प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है। अब तक करीब 12.67 लाख लोग बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं और 360 से ज्यादा पंचायतें प्रभावित हुई हैं।
कई गांवों से जिला मुख्यालय तक संपर्क टूट गया है, जिससे राहत सामग्री पहुंचाने में दिक्कत आ रही है। स्थानीय प्रशासन नाव और बचाव टीमें लगाकर लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा रहा है।
सरकार द्वारा राहत कार्य
बिहार सरकार और जिला प्रशासन की सक्रियता के तहत कई राहत कदम उठाए जा रहे हैं।
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बाढ़ पीड़ितों के लिए 24 घंटे की हेल्पलाइन शुरू की है। अनिवार्य सेवाएं जैसे भोजन, पानी, चिकित्सा और ठहरने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।
लगभग 1,400 नावों को राहत कार्य में लगाया गया है और आठ प्रमुख राहत शिविर चालू किए गए हैं। इन शिविरों में सामुदायिक रसोई (कम्युनिटी किचन) के माध्यम से लोगों को पकाया हुआ भोजन, पानी, दवाइयां और प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराई जा रही हैं।
119 स्थलों को ऊंचे इलाकों के रूप में चिन्हित किया गया है, जहां लोग सुरक्षित रखे जा सकते हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार काम कर रही हैं और जरूरत पड़ने पर हेलीकॉप्टर से भी सहायता पहुंचाई जा रही है।
जनजीवन और कृषि पर असर
इस बाढ़ ने गांव के जीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। फटाफट बहाव और खेतों के डूबने से लाखों रुपये की फसलें बर्बाद हो गई हैं। खास तौर पर धान, मक्का और सब्जियों की खेती पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है।
पशुपालन भी भारी संकट में है। चारे की भारी कमी हो गई है और कई जगह पशु भी बाढ़ में बह गए हैं। ग्रामीणों के लिए भोजन, चारा और पीने का पानी उपलब्ध कराना बड़ा संकट बन चुका है।
शहरी क्षेत्रों में भी हालात कुछ कम नहीं हैं। पटना शहर के कई मोहल्लों में जल जमाव की स्थिति बन गई है। लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं और बिजली-पानी की आपूर्ति भी बाधित हो रही है।
सरकारी राहत योजनाएं और आर्थिक सहायता
बाढ़ पीड़ितों को राहत देने के लिए सरकार ने कई योजनाएं तुरंत लागू की हैं।
राज्य आपदा मोचन निधि (SDRF) और राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि (NDRF) के तहत आपातकालीन फंड का उपयोग किया जा रहा है।
बाढ़ राहत शिविरों में फ्री राशन, दवाइयां, तिरपाल, कपड़े और स्वच्छ पानी की व्यवस्था की गई है। दियारा और अन्य बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की टीम तैनात की गई हैं, जो बीमार लोगों का इलाज कर रही हैं।
जिन किसानों की फसलें नष्ट हो गई हैं, उनके नुकसान का आंकलन कर मुआवजा दिया जा रहा है। इसके तहत प्रति एकड़ के हिसाब से आर्थिक सहायता दी जाती है।
लोक स्वास्थ्य और अभियंत्रण विभाग की ओर से जल जनित बीमारियों से लड़ने के लिए विशेष चिकित्सा शिविर लगाए जा रहे हैं।
इसके अलावा, शिक्षा विभाग ने बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए शिविरों में अस्थायी कक्षाएं शुरू करने का भी निर्देश दिया है।
चुनौतियाँ और आगे की राह
बाढ़ की स्थिति फिलहाल स्थिर होती दिख रही है, लेकिन मौसम विभाग के अनुसार कुछ क्षेत्रों में फिर से बारिश की संभावना है। इससे राहत कार्यों में बाधा आ सकती है।
बड़ी चुनौती यह भी है कि बाढ़ के बाद बीमारियां, जैसे डायरिया, त्वचा संक्रमण और मलेरिया, फैल सकती हैं। इसलिए स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करना जरूरी है।
स्थानीय प्रशासन जल स्तर कम होने का इंतजार कर रहा है ताकि मरम्मत का काम शुरू हो सके।
निष्कर्ष
बिहार में बाढ़ का कहर एक बार फिर जनजीवन को तबाह कर रहा है। पटना और इसके आसपास के इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हैं जहां हजारों लोग अपना घर छोड़ राहत कैम्पों में रहने को मजबूर हैं। सरकार की राहत कोशिशें जारी हैं लेकिन हालातों की गंभीरता को देखते हुए दीर्घकालिक समाधान की जरूरत है। लोगों की सुरक्षा और पुनर्वास अब सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।