22 सितंबर 1992 को अनुमंडल बने सिमरी बख्तियारपुर में अभी भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव
24 फरवरी 1954 को ही सिमरी बख्तियारपुर को प्रखंड का मिला था दर्जा
अभी भी यहां पर नहीं खुले हैं कई कार्यालय, 6 वर्षों से नहीं मनाया जाता है स्थापना दिवस समारोह
संपादक की कलम से – सुबे का 112 अनुमंडल का दर्जा सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड को आज से ठीक 32 वर्ष पहले 22 सितंबर 1992 को मिला था। तत्कालीन सिमरी बख्तियारपुर के विधायक वर्तमान मधेपुरा सांसद दिनेशचंद्र यादव के अथक प्रयास से सुबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के द्वारा शिलापट्ट का अनावरण कर अनुमंडल का दर्जा दिया गया था।
अनुमंडल का दर्जा प्राप्त करने को आज 32 वर्ष बीत गया लेकिन बुनियादी मूलभूत सुविधाओं से अब तक यह क्षेत्र उपेक्षित है। रोजगार के अभाव में लोग परदेश पलायन कर बाहर कमाने जाने को मजबूर हैं। विभिन्न विभाग के कार्यालय सहित अधिकारी एवं कर्मचारी की कमी का दंश झेल रहा इस अनुमंडल को अब तक एक बड़े तारणहार की जरूरत है।
आजादी के बाद वर्ष 1954 में ही मिला था प्रखंड का दर्जा : 24 फरवरी 1954 को सिमरी बख्तियारपुर को प्रखंड का दर्जा मिला था। वही 22 सितंबर 1992 को सिमरी बख्तियारपुर को 112 वें अनुमंडल के रुप में दर्जा मिला था। 9 जुलाई 2012 को सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के दो पंचायत बख्तियारपुर उत्तरी व दक्षिणी को जोड़कर 15 वार्डों का नगर पंचायत बना।
फिर दो और पंचायत सिमरी व खम्हौती को जोड़ कर नगर परिषद में तब्दील किया गया अब नगर परिषद क्षेत्र में कुल वार्ड 28 है। अनुमंडल को तीन प्रखंड सिमरी बख्तियारपुर, सलखुआ एवं बनमा इटहरी प्रखंड है। वर्तमान में सिमरी बख्तियारपुर व सलखुआ प्रखंड खगड़िया लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है जबकि बनाम ईटहरी प्रखंड मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा बना हुआ है।
वहीं कोसी तटबंध के अंदर के इलाके के इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो सदियों से उपेक्षित इस इलाके की दुर्गम स्थिति से आजीज होकर अकबर के कुशल वित्त मंत्री टोडरमल ने अधिकांश भू भाग को फरकिया क्षेत्र घोषित कर दिया था। दुर्गम क्षेत्र को देखते हुए फरकिया को कर लगाने से मुक्त कर दिया था। लेकिन तेजी से भागती तकनीकी दुनिया में कोसी तटबंध के अंदर के इलाके फरकिया का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है।
अनुमंडल मुख्यालय तक पहुंचने के लिए नाव का सहारा लिया जाता है। कोसी नदी पर एक अदद पुल की चिर प्रतिक्षित मांग है। हालांकि चंद दिन पहले सुबे के मुखिया नीतीश कुमार के द्वारा दिवारी स्थान आगमन पर बहुप्रतीक्षित डेंगराही घाट पर 414 करोड़ की लागत से पुल निर्माण का शिलान्यास किया, लेकिन 36 माह के समय में पुल निर्माण कार्य असंभव प्रतीत हो रहा है देखने वाली बात होगी कि क्या 36 माह बाद पुल निर्माण उपरांत फरकिया का फर्क मिटता है कि नहीं?
महत्वपूर्ण कार्यालय नहीं खुले : वहीं बात करें अनुमंडल निर्माण के वर्षों बाद सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल कार्यालय का भव्य भवन में अनुमंडल कार्यालय चल रहा है। लेकिन स्थापना के 32 वर्ष बीतने के बावजूद भी सिमरी बख्तियारपुर में अनुमंडल न्यायालय, माप तोल कार्यालय, अनुमंडल शिक्षा कार्यालय, जेल आदि सहित अन्य कार्यालय अभी तक नहीं खुल पाए है। जिस कारण यहां के लोगों को अभी भी कई कार्यों के लिए जिला मुख्यालय जाना पड़ता है।
अनुमंडल में अधिकारी एवं कर्मी की कमी : अनुमंडल कार्यालय में स्वीकृत पद के अनुसार अधिकारी एवं कर्मी की कमी है। जिससे अनुमंडल कार्य पर प्रभाव पड़ता है। अनुमंडल में वर्तमान में प्रधान लिपिक के अलावा 3 स्थाई कर्मी एवं 1 प्रतिनियुक्त कर्मी एवं 2 चपरासी के सहारे अनुमंडल कार्यालय चला रहा है। वही अनुमंडल कार्यालय में अवर निर्वाचन पदाधिकारी पद रिक्त है।
अनुमंडल में मानदेय पर ऑपरेटर कार्यरत हैं। अनुमंडल लोक शिकायत कार्यालय में लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी का पद रिक्त हैं। फिलहाल भूमि उपसमाहर्ता को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। जेल व अनुमंडल न्यायालय के लिए वर्षा से जमीन अधिग्रहण व कार्यालय खोलने का कवायद चल ही रहा है। देखने वाली बात होगी कि ये सपना कब साकार होता है।
नगर की समस्याएं : सिमरी बख्तियारपुर नगर परिषद मुख्य बाजार में नाला तो बन गया है। सड़क निर्माण भी हुआ है। लेकिन शर्मा चौक के बाद से लेकर डाक-बंगला चौराहा तक सड़क निर्माण कार्य का टेंडर चंद दिन पहले निकला है। वही नगर परिषद के कई अन्य जर्जर सड़कें एवं नाला की समस्या मुंह बाए खड़ी है। अतिक्रमण के कारण जाम की समस्या बनी रहती है। शुद्ध पेयजल आपूर्ति योजना के तहद पानी टंकी बनकर तैयार है। लेकिन संवेदक से लापरवाही के कारण अभी तक यहां के लोगों को शुद्ध जल आपूर्ति उपलब्ध नहीं हो पाई है। संपूर्ण सिमरी बख्तियारपुर नगर पंचायत निवासियों के जल निकासी का कोई ठोस पहल नहीं हुआ है नतीजा जल जमाव समस्या बनी हुई है।
अनुमंडलीय अस्पताल बना रेफर अस्पताल : हालांकि अनुमंडल के निर्माण के बाद यहां अनुमंडल स्तरीय भव्य अनुमंडलीय अस्पताल तो बना। लेकिन स्वीकृत पद के अनुसार चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मी नहीं रहने के कारण अस्पताल बदहाल बना हुआ है। यह अस्पताल सिर्फ रेफर अस्पताल बन कर रह गया है। विधायक से लेकर सांसद तक अस्पताल निरक्षण तक का कार्य करते हैं लेकिन सुविधाएं बहाल कराने में अब तक सफल नहीं हुए हैं। ईलाज के अभाव में मरीज दम तोड़ते नजर आ जाते हैं।
इसके अलावा नर्सिंग ट्रेनिंग स्कूल एवं बुनियाद केंद्र चालू है। बुनियादी केन्द्र अपनी बदहाली व बदइंतजामी पर आंसू बहा रहा है। नर्सिंग स्कूल की दुर्दशा हाल के दिनों में खबरों की सुर्खियां बना नतीजा ढांक के तीन पात हुई। अनुमंडल में उच्च शिक्षा के लिए प्रस्तावित डिग्री कॉलेज के लिए भूमि का चयन का कार्य फाइनल तो हो चुका है। लेकिन कब भवन बनेगा व कब पढ़ाई शुरू होगी यह कहना मुश्किल नजर आ रहा है।
सिमरी बख्तियारपुर नगर परिषद मुख्य बाजार स्थित स्कूल के मैदान में एक स्टेडियम का निर्माण नहीं हो सका है। बड़े भू भाग पर अतिक्रमणकारियों का कुदृष्टि बना हुआ है। वहीं हाट सैरात की जमीन अब तक अतिक्रमणकारियों के चंगुल से खाली नहीं कराया जा सका। नतीजा बड़े बड़े अलीशान भवन बन कर तैयार हो आगे बढ़ रहे हैं।
6 वर्षों से अनुमंडल स्थापना दिवस नहीं मनाया जा रहा : सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल स्थापना दिवस समारोह 6 वर्ष पूर्व धूमधाम से मनाया गया था, लेकिन इस बार भी समारोह नहीं हो रहा है। समारोह में राज्य स्तरीय नेताओं का जमघट लगता था। इसी समारोह में सिमरी बख्तियारपुर के विकास की समीक्षा होती थी। सबसे बड़ी बात यह कि समारोह के मंच से सांस्कृतिक कार्यक्रम स्कूली बच्चे की प्रतिभा का मंच माना जाता था।
वही कार्यक्रम में देश के प्रसिद्ध कलाकारों का जमघट लगता था। जो अपने कला प्रदर्शन से यहां के लोगों का खूब मनोरंजन होता था। इस समारोह का इंतजार यहां के निवासी काफी दिनों से करते थे। 6 वर्ष पहले आदर्श आचार संहिता एवं कोरोना काल को लेकर यह समारोह नहीं हो पाया। उसके बाद यह परंपरा आगे बढ़ता गया नतीजा अब भी स्थापना दिवस पर कोई कार्यक्रम नहीं हो रहा है।
वर्तमान एसडीओ अनीषा सिंह की मानें तो स्थापना दिवस के लिए कोई सरकारी कार्यक्रम निर्धारित नहीं है ना ही किसी प्रकार की राशि इसके लिए आवंटित होती है जिसकी वजह से स्थापना दिवस नहीं मनाया जा रहा है। ख़ैर। कुल मिलाकर कर कह सकते हैं कि ना निज़ाम बदला ना सुरत बीत गए 32 बरस।