पचगछिया स्थित पूर्व सांसद आनंद मोहन के पिता व चाचा के प्रतिमा का करेंगे उद्घाटन
सहरसा/ सुबे के सीएम नीतीश कुमार का आज सहरसा दौरा है। आज सीएम नीतीश कुमार स्वतंत्रता सेनानी रामबहादुर की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। बता दें कि स्वतंत्रता सेनानी रामबहादुर सिंह बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन के पिता हैं। इस कार्यक्रम में सीएम नीतीश को निमंंत्रण दिया गया था जिसे उन्होंने स्वीकार लिया और आज वह आ रहे हैं।
कार्यक्रम को लेकर प्रशासनिक तैयारियां भी पूरी कर ली गई हैं। मुख्यमंत्री के आगमन से लेकर सभा स्थल और पूर्व सांसद आनंद मोहन के आवास स्थल को सजाया गया है। पुलिस प्रशासन के चुस्त दुरुस्त व्यवस्था के बीच तैयारी का जायजा लेने वरीय अधिकारी स्वयं पहुंच रहे हैं। वहीं आमजनों में भी सीएम के आगमन को लेकर उत्सुकता है।
आज 3 बजे सहरसा पहुंचेंगे सीएम नीतीश : नीतीश कुमार अपनी यात्रा के दौरान निर्धारित समय दोपहर के 3 बजे हेलिकॉप्टर से पंचगछिया पहुंचेंगे। जहां से वे सीधे प्रतिमा स्थल पहुंचेंगे और वहां पूर्व सांसद आनंद मोहन के दादा स्वतंत्रता सेनानी स्व. रामबहादुर सिंह एवं 1942 के क्रांतिकारी ब्रह्मचारी जी की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। ब्रह्मचारी जी आनंद मोहन के चाचा है। फिर वहाँ आयोजित एक जनसभा को संबोधित करेंगे।
इसके बाद सीएम नीतीश कुमार, पूर्व सांसद आंनद मोहन के गाँव स्थित घर पर जाकर उनके पुत्र विधायक चेतन आनंद व पुत्रवधु ,बेटी सुरभि आंनद व दामाद को आशीर्वाद देंगे। इसके बाद 4.15 बजे वापस हेलीकॉप्टर से पटना लौट जाएंगे।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए युद्ध स्तर पर पंडाल व मंच का निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है। बेरिकेटिंग का काम पूरा हो चुका है लेकिन मंच सज्जा का काम सीएम नीतीश के आने तक चलता रहेगा। वहीं चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के लिए भारी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है. खुद DIG शिवदीप लांडे, एसपी उपेन्द्रनाथ वर्मा सहित आलाधिकारी कार्यक्रम स्थल पहुंच व्यवस्था का जायजा लिया।
क्या कहते हैं आनंद मोहन : आनंद मोहन ने कहा कि वह देश मर जाता है जो अपने शहीदों व महापुरुषों को भूल जाते हैं। उनकी प्रतिमा के अनावरण में 77 वर्ष लग गए। जो लगातार 1919 से लेकर 1946 तक मृत्यपर्यंत जूझते रहे। आठ बार जेल गये। उनकी प्रतिमा लगने में अगर 77 वर्ष लग गए तो वह खुद में दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि उनके दादा गांधी जी के खासमखास थे। इस प्रदेश का कोई बड़ा नेता नहीं था, चाहे अनुग्रह बाबू हों, बिहार विभूति राजेन्द्र बाबू जो बाद में देश के राष्ट्रपति बने, श्री बाबू, दीप बाबू आदि जो भी बड़े लोग थे, इनके मित्र हुआ करते थे। कोशी के गांधी के रूप में ख्यातिप्राप्त स्वतंत्रता सेनानी मेरे दादा स्व. रामबहादुर सिंह थे। 1942 के क्रांतिकारी स्व. ब्रह्मचारी जी वो मेरे चाचा थे।
इन दोनों की प्रतिमा का शिलान्यास 1998 में हुआ था, जब मैं एमपी था उस कार्यक्रम में पूर्व उप राष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत एवं पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव एवं नेपाल सरकार के मंत्री गजेंद्र सिंह शामिल हुए थे। स्वतंत्रता सेनानीयों को श्रद्धा सुमन अर्पित करना उनको याद करना अपने आप में खास होता है।