शराब, शबाब और कबाब के साथ झुकते दरोगा बाबू का वीडियो व फोटो हुआ था वायरल
  • एसपी लिपि सिंह ने प्रेस वार्ता कर सस्पेंड होने की दी जानकारी, किए गए लाइन हाजिर

सहरसा से भार्गव भारद्वाज के साथ राजा कुमार की रिपोर्ट : बिहार में शराबबंदी कानून लागू है, इस कानून को लागू कराने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी पुलिस को दी गई है, ऐसे में जब एक थानेदार बाबू ही शराब, शबाब एवं कबाब के साथ झुकते नजर आए तो क्या कहना। जी हां, सहरसा सदर के एसएचओ जयशंकर प्रसाद की एक वीडियो व फोटो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो कर सुर्खियां बटोर रही है।

उक्त वायरल वीडियो में उन्हें यह तक एहसास नहीं है कि उन्होंने पुलिस मैन्यू के तहत शराब नहीं पीने की शपथ ली है। साथ ही शराब पीने-पिलाने वालों पर शक्ति बरतने के लिए अधिकृत है। ऐसे में उनका शराब, शबाब और कबाब का आनंद लेते वायरल वीडियो काफी चर्चित हुआ। सहरसा से राजधानी पटना तक वीडियो की चर्चा होती रही।

 

जिसके बाद एसपी लिपि सिंह ने उन्हें निलंबित कर पुलिस लाइन हाजिर कर दिया है। वहीं डीएसपी के नेतृत्व में एसआईटी टीम का भी गठन किया गया है। जो उनके क्रियाकलाप और पूर्व से उनके आचरण का आकलन करेगा। जिसकी रिपोर्ट आने के बाद उनकी नौकरी पर भी खतरे की संभावना बन रही है।

मंगलवार को एसपी लिपि सिंह ने प्रेस वार्ता आयोजित कर बताया कि कल शाम में वायरल वीडियो मिला। जिसमें कुछ फोटो भी था और कुछ वीडियो भी था। जिसमें एसएचओ सदर थाना दिख रहे हैं। तत्काल एसडीपीओ सदर को जांच के लिए दिया गया। फोटो और वीडियो को देखकर अनुशासनहीनता दिख रही है। बिहार में पूर्ण रूप से शराब बंदी लागू है। यह उस उस नियम के विरुद्ध आचरण है।

ये भी पढ़ें : सहरसा : बख्तियारपुर थाना के नए थानाध्यक्ष बनें सुधाकर कुमार

लिपि सिंह ने कही कि आपको पता है कि हम लोग हर साल शपथ ले लेते हैं कि शराब नहीं पीना, ना पिलाना है और जो यह कारोबार करते है। हमको उस पर कार्रवाई करनी है। इसमें हमे बिल्कुल ही संलिप्त नहीं रहना है। यह सरकार की सबसे महत्वपूर्ण टास्क है। जिसे इंप्लीमेंट कराने के लिए हम लोगों को जिम्मेवारी दिया गया है। इसे हम लोग लागू कराने के लिए हैं।

 

इसलिए यह पूरी तरह कर्तव्यहीनता और अनुशासनहीनता है। तत्काल सदर थाना अध्यक्ष को सस्पेंड करते हुए लाइन हाजिर किया गया है। और उनके विरुद्ध जांच किए जा रहे हैं। जांच के बाद अन्य सख्त कार्रवाई भी उनके विरुद्ध की जा सकती है। अब देखने वाली बात होगी कि आगे सदर थाना की बागडोर किन्हें सौंपी जाती है।