बागी बनें सुरेंद्र यादव की नैया को पचपनिया व अगड़ी ने किया पार, पांच मतों के बड़े अंतर से हुई जीत

सहरसा : सोमवार को सहरसा जिला परिषद अध्यक्ष के रूप में किरण देवी और उपाध्यक्ष पद पर धीरेंद्र यादव के निर्वाचित होने के बाद सहरसा से लेकर सलखुआ तक में जश्न का माहौल है। वही इस चुनाव ने किंगमेकर के रूप में पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष रितेश रंजन का नाम सामने आया है।

वर्ष 2006 से मधेपुरा सांसद का जिनको मिला साथ वही बनें अध्यक्ष : सहरसा की राजनीति के मुख्य केंद्र बिंदु मधेपुरा सांसद दिनेश चंद्र यादव का लगभग पंद्रह वर्षो से जिले में जिप अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की राजनीति में दखल था। 2006 में मधेपुरा सांसद ने सलखुआ अंतर्गत बनकट्टी निवासी सुरेंद्र यादव को पहली बार जिप के अध्यक्ष पद पर बैठवाया। फिर 2011 में दोबारा सुरेंद्र यादव को अध्यक्ष बनाने में सांसद महोदय का योगदान रहा। वही उपाध्यक्ष के खेल को पहली बार चुनावी मैदान में उतर जीत का स्वाद चखे रितेश रंजन ने उपाध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हो गए।

उस समय भी रितेश को पचपनिया समुदाय की गोलबंदी का सहारा मिला था। पुनः 2016 के जिप अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव मे सांसद ने अध्यक्ष के रूप में अड़हुल देवी को बनाने में सफलता हासिल की। वही पूर्व जिप उपाध्यक्ष रितेश रंजन की मां ललिता रंजन मात्र 2 वोट से अध्यक्ष की कुर्सी पाने से वंचित रह गई।

बात करे 2021 की तो इस वर्ष सांसद का आशीर्वाद सौरबाजार निवासी अमर यादव को मिल गया। अमर यादव अपनी पत्नी मधुलता कुमारी को मैदान में उतार दिया। वही उनके गुट से ही बागी हुए सुरेंद्र यादव की पत्नी किरण देवी का समर्थन पचपनिया की अगुवाई कर रहे रितेश रंजन गुट ने कर दिया और जिप सदस्यों को किरण देवी के पक्ष में गोलबंद करने की मुहिम शुरू कर दी। इस दौरान अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की राजनीति सहरसा से नेपाल तक गई। दोनो पक्षो के दांव – पेंच के बीच सोमवार सुबह किरण देवी ने 13 मत और मधुलता देवी ने 8 मत प्राप्त किये।

सलखुआ, बनमा के जिप सदस्य रहे सुरेंद्र-रितेश गुट में : सोमवार को जिला परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव में लगातार किंगमेकर की भूमिका में रहे मधेपुरा सांसद के आशीर्वाद प्राप्त अमर यादव गुट को हार का सामना करना पड़ा। वही दोनो सीट पर रितेश सुरेंद्र गुट ने अपने प्रत्याशियों को जीत दिलवाया।

कहां के पार्षद किस खेमें में : बनमा ईटहरी प्रखंड क्षेत्र से जिप सदस्य के विजयी उम्मीदवार गरिमा कुमारी रितेश गुट में थी। वही सलखुआ से जिप सदस्य अनिल भगत रितेश गुट में ही थे। बख्तियारपुर से तीन जिप सदस्य अमर गुट में रहे। बात करे महिषी की तो यहां के दोनों जिप सदस्य रितेश गुट में शुरू से थे। बात सत्तर कटैया की करे तो यहां से एक जिप सदस्य अमर गुट में तो एक रितेश गुट में शामिल थे।

नवहट्टा से एक जिप सदस्य अमर गुट और एक रितेश गुट में शामिल रहे‌। पतरघट में दोनो जिप सदस्य अमर गुट में रहे। सोनवर्षा के तीन जिप सदस्य रितेश गुट में रहे। सौर बाजार के दोनों जिप सदस्य अमर गुट में थे। कहरा के भी दोनो जिप सदस्य रितेश रंजन गुट में रहे। जिनमें एक धीरेन्द्र यादव उपाध्यक्ष ही बन गए।

यहां बता दे कि समाहरणालय में सोमवार सुबह शपथ और निर्वाचन के लिए जाने के दौरान रितेश सुरेंद्र गुट के संग 11 सदस्य एवं अमर गुट के संग 8 सदस्य सभाकक्ष में गये। वही दो सदस्य अलग – अलग गए। हालांकि मतदान में प्राप्त परिणाम पर गौर करे तो रितेश सुरेंद्र गुट को 13 मत वहीं अमर गुट को 8 मत प्राप्त हुआ। इस प्रकार कहा जा सकता है कि एक मत क्रॉस वोटिंग का शिकार हुआ। हालांकि सुरेंद्र यादव गुट पहले से ही 12 वोट का दावा कर रहे थे लेकिन एक वोट ज्यादा ही मिल गया।

पचपनिया व अगड़ी ने दिलाया ताज : आठ प्लस एक यादव में सुरेंद्र यादव गुट को तीन, प्लस एक यादव का साथ मिला। वहीं अगड़ी जाति एवं पचपनिया जिप सदस्य का साथ मिला। वहीं एक अल्पसंख्यक जिप सदस्य का भी साथ मिलने की बात कही जा रही है। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि सुरेन्द्र यादव की नैया को सभी ने मिलकर पार लगा दिया।