एडीजी ने प्रमंडलीय पुलिस पदाधिकारियों के साथ बैठक कर दिए गए कई दिशा निर्देश

सहरसा से अमन कुमार की रिपोर्ट : दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 के अनुसार सात साल से कम सजा वाले मामले में अभियुक्तों को जमानत देने का प्रावधान किया गया है। इसके संबध में पूर्व में ही एक आदेश पुलिस महानिदेशक द्वारा जारी किया गया है।

उक्त बातें बुधवार को शहर के प्रेक्षागृह में कमजोर वर्ग के अपर पुलिस महानिदेशक अनिल किशोर यादव ने प्रमंडल के पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि अभियुक्तों को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 के तहत किन परिस्थितियों में जमानत देनी है या नहीं देनी है इसके संबध में पुलिस पदाधिकारियों को दिशा-निर्देश दिया गया।

एडीजी ने बताया कि सरकार और पुलिस मुख्यालय की यह प्राथमिकता है कि कमजोर वर्ग के लोगों से जुड़े मामलों की नियमित समीक्षा हो और उन्हें न्याय सुनिश्चित हो। एडीजी ने बताया कि किसी भी कानून में निर्दोषों के खिलाफ गिरफ्तारी, कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं है। इसकी जिम्मेदारी अनुसंधानकर्ताओं को है कि वे अपनी जांच कि गुणवत्ता को बेहतर रखें। जिससे निर्दोष पर कोई कार्रवाई नहीं हो।

एडीजी अनिल किशोर यादव

एडीजी ने खासकर अनुसंधानकर्ताओं को आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए कहा कि कमजोर वर्ग से जुड़े मामलों का सही तरीके से अनुसंधान करें। पास्को, एससीएसटी, दुष्कर्म के मामले में गलत अनुसंधान न हो ताकि अभियुक्तों को इसका लाभ मिल सके। प्रमंडल स्तरीय बैठक में एडीजी ने कमजोर वर्ग से जुड़े सभी मामलों की समीक्षा करते हुए जल्द निष्पादन का भी निर्देश दिया।

मौके पर कोसी डीआईजी प्रणव कुमार प्रवीण, सहरसा एसपी लिपि सिंह, सुपौल एसपी मनोज कुमार, मधेपुरा एसपी योगेन्द्र कुमार, सदर एसडीपीओ संतोष कुमार, सिमरी बख्तियारपुर एसडीपीओ इम्तियाज अहमद, प्रशिक्षु डीएसपी निशिकांत भारती, महिला थानाध्यक्ष प्रेमलता भूपाश्री, अपर थानाध्यक्ष सदर राजमणि, इंस्पेक्टर राकेश कुमार सिंह, कृष्णा प्रसाद, सत्य नारायण राय सहित सुपौल व मधेपुरा जिले के पुलिस पदाधिकारी, विशेष लोक अभियोजक, महिला थानाध्यक्ष, एससीएसटी थानाध्यक्ष सहित अन्य मौजूद रहे।

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