एक शव की हुई कोरोना जांच में मिला पॉजिटिव, दुसरे शव को बिना जांच के ही दिया गया परिजनों को सौंप
  • कोरोना काल में अस्पताल प्रबंधन पुरी तरह असंवेदनशील, संदिग्ध को देखना भी मुनासिब नहीं समझते कर्मी : रितेश

सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) ब्रजेश भारती : सहरसा जिले के अनुमंडलीय अस्पताल सिमरी बख्तियारपुर में सोमवार रात एवं मंगलवार सुबह यानि 24 घंटे से कम समय में दो कोरोना संदिग्ध लोगों की मौत हो गई। मंगलवार हुई मौत बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा मचा इलाज में लापरवाही का आरोप अस्पताल कर्मियों पर लगाया। वहीं एक शव की कोरोना जांच में रिपोर्ट पॉजिटिव मिला वहीं रात को हुई मौत मामले में शव का कोरोना जांच किए बिना परिजनों को सौंप दिया।

वहीं सोमवार सुबह बाद हुई मौत मामले में असफल प्रबंधन ने कोरोना प्रोटोकॉल का भी पालन नहीं किया चार पीपीई कीट परिजनों को थमा, अपना पल्ला झाड़ लिया। समाजसेवी सह नेता रितेश रंजन ने अनुमंडल प्रशासन व अस्पताल प्रबंधन पर असंवेदनशीलता मानते हुए इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है। यहां यह बता दें कि सोमवार रात आया मरीज कोरोना संदिग्ध था जबकि वही दूसरा मंगलवार सुबह अस्पताल पहुंचा मरीज कोरोना संक्रमित था।

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अस्पताल में भर्ती बाद परिजनों ने खुद लगाया मरीज को ऑक्सीजन : सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के रायपुरा पंचायत गांव निवासी 70 वर्षीय एक अधेड़ कोरोना संदिग्ध शख्स को लेकर उनके परिजन सोमवार रात अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचे। उक्त मरीज में कोरोना से संबंधित सभी लक्षण थे। सोमवार रात जब मरीज को सांस लेने में परेशानी हुई तो तो परिजन उसे रात के दस बजे अनुमंडल अस्पताल सिमरी बख्तियारपुर लेकर पहुंचे। मरीज के परिजनो ने बताया कि जब मरीज के इलाज के लिए डॉक्टरों की खोज खबर शुरू की तो सभी डॉक्टर गायब दिखे।

इस दौरान मरीज की स्थिति बिगड़ती चली गई। मरीज को सांस लेने में परेशानी आ रही थी। मरीज के परिजनों के द्वारा जब अस्पताल में काफी आरजू – मिन्नत की गई तो जैसे – तैसे ऑक्सीजन लेवल जांच किया गया और ऑक्सीजन लेवल 58 आने के बाद उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर दिया गया। परिजन बताते है कि अस्पताल कर्मियों की असंवेदनशीलता की प्रकाष्ठा ऐसी थी की कर्मी मरीज़ को ऑक्सीजन लगाने तक के लिए भी तैयार ना हुए। जिसके बाद किसी प्रकार से मरीज के पुत्र ने ऑक्सीजन लगाया।

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हालांकि ऑक्सीजन लगने के चंद मिनटों के बाद ही इलाज के अभाव में मरीज ने दम तोड़ दिया। इस दौरान अस्पताल के किसी डॉक्टर एवं कर्मचारियों ने मरीज को छूने तक से इनकार कर दिया। मरीज की मृत्यु के बाद मृतक के परिजनों में जब कोरोना संदिग्ध मरीज के अंतिम संस्कार को लेकर कोविड प्रोटोकॉल की बात उठाई एवं कोरोना जांच की मांग की गई तो अस्पताल प्रबंधन ने हाथ खड़े कर एक पीपीई कीट थमा अपना पल्ला झाड़ लिया।

सोमवार सुबह आया दुसरा मरीज, बेंच हुआ नसीब : सिमरी बख्तियारपुर नगर परिषद सैनीटोला निवासी 65 वर्षीय कोरोना संदिग्ध मरीज मंगलवार की सुबह लगातार बिगड़ती स्थिति को देखते हुए उसे अस्पताल ले जाया गया। जहां कोरोना संदिग्ध मरीज को देखकर अस्पताल कर्मी ने अपने हाथ खड़े कर दिए‌। सांस की तकलीफ से जूझ रहे मरीज के परिजनों ने जब डॉक्टरों को खोज की तो वे नदारद दिखे। इसके बाद परिजनों के हंगामा शुरू किया तो एक ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराया गया लेकिन किसी कर्मी ने उसे लगाने के लिए तैयार नहीं हुआ।

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इस बीच मरीज की हालत बिगड़ती गई। आखिरकार मरीज ने दम तोड़ दिया। इसके बाद परिजनों के द्वारा अस्पताल में जमकर हंगामा किया गया। परिजन मौत बाद कोविड जांच पर अड़े थे। हंगामे की खबर पर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ एनके सिन्हा भी अपने डेरे से निकलकर अस्पताल पहुंचे‌। उसके बाद उन्होंने थाने को सूचना दी। हंगामे की जानकारी पर पुलिस भी अस्पताल पहुंची। मरीज के परिजन शव की कोविड जांच पर अड़े थे और यदि शव कोरोना संक्रमित हैं तो उसका कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार अंतिम संस्कार करने की मांग कर रहे थे।

काफी हंगामे के बाद मरीज का अस्पताल कर्मी ने कोविड जांच किया। जांच उपरांत मृत व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाया गया। इसके बाद परिजन कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार अंतिम संस्कार किए जाने की मांग पर अड़ गए। तब परिजनों को 4 पीपीई किट उपलब्ध करा घर भेज दिया गया।

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इस बाबत पूर्व जिप उपाध्यक्ष रितेश रंजन ने बताया कि बड़े दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कोरोना महामारी के इस दौर में सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह फेल हो चुका है। जब कोरोना गांव की ओर बढ़ चुका है, इस दौर में अनुमंडल प्रशासन की असंवेदनशीलता आश्चर्य पैदा करती है। रायपुरा वाले मामले में जब इलाज के लिए जब अस्पताल प्रभारी को टेलीफोन किया तो उन्होंने फोन उठाना भी मुनासिब नहीं समझा। वही एसडीओ ने भी फोन नहीं उठाया।

रितेश रंजन(फाइल फोटो)

तत्पश्चात मैंने देर रात्रि डीएम से बात की। जिसके बाद कोरोना संदिग्ध मरीज के परिजनों को एक पीपीई किट दी गई। वहीं से सैनीटोला वाले मामले में कोरोना पॉजिटिव मरीज को डॉक्टरों ने इलाज करना भी मुनासिब नहीं समझा। इसके बाद मरीज के मौत के उपरांत कोई कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया। जब मैंने अधिकारियों से बात की तो परिजनों को 4 पीपीई किट देकर घर भेज दिया गया।

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वहीं पुरे मामले पर अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक एनके सिन्हा ने बताया कि दोनों मरीज को अस्पताल में देखा गया है। ऑक्सीजन भी लगाया गया है। परिजनों द्वारा लगाया गया आरोप बेबुनियाद है। मृतक को पीपीई किट भी दिया गया है।

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