कोरोना काल में एम्बुलेंस की स्थिति खोलती है स्वास्थ्य विभाग की पोल

सहरसा से V & N की रिपोर्ट : यूं तो बिहार में स्वास्थ्य विभाग स्वास्थ्य सेवा को लेकर बड़े बड़े दावे करती है लेकिन जमीनी हकीकत क्या है इसकी बानगी सहरसा में देखने को मिली दरअशल सहरसा में गम्भीर मरीज को ले जाने वाला एम्बुलेंस खुद बीमार होकर कब और कहाँ खराब हो जाएगा यह कोई नही जानता।

यह तस्वीर जिले के सौर बाजार प्रखंड क्षेत्र की है, जहां जिले के सोनवर्षा राज प्रखंड स्थित पीएचसी का एम्बुलेंस एक गम्भीर मरीज को छोड़कर लौट रहा था तभी एम्बुलेंस बीच रास्ते मे ही बंद हो गई जिसके बाद दूसरे एम्बुलेंस से रस्सी के सहारे बांधकर खींचकर खराब एम्बुलेंस को ले जाया गया। वो तो गनीमत थी कि एम्बुलेंस में कोई गम्भीर मरीज नही था वरना सोचिए ऐसे में उस मरीज की क्या हालत होती शायद वो इलाज से पहले दम तोड़ देता।

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इस मामले पर एम्बुलेंस चालक ने बताया कि वो जिले के सोनवर्षा राज प्रखंड के सोनवर्षा राज पीएचसी से एक मरीज को छोड़ने सदर गया था और जब मरीज को छोड़कर वापस लौट रहा था तो एम्बुलेंस बीच रास्ते मे ही बंद हो गई तब जाकर सौरबाजार प्रखंड के पीएचसी से दूसरी एम्बुलेंस बुलाने के बाद रस्सी के सहारे खींचकर उसे ले जाया गया।

 

चालक की माने तो तकनीकी कारणों से एम्बुलेंस खराब हो गया। लेकिन सवाल यह उठता है कि जिस एम्बुलेंस के भरोसे कई गंभीर मरीजो को सही समय पर इलाज के लिए एक जगह से दूसरे अस्पताल पहुंचाया जाता हो वो अगर बीच रास्ते मे बंद हो जाए तो फिर क्या होगा। सवाल यह भी उठता है कि क्या किसी मरीज को लाने या ले जाने से पहले एम्बुलेंस की जांच नही होती है क्या।

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