उर्दू किसी धर्म की भाषा नहीं है बल्कि यह शुद्ध भारतीय भाषा : चौधरी कैसर

सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) ब्रजेश भारती : सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर नगर पंचायत स्थित इंट्रगल पब्लिक स्कूल के प्रांगण में गुरुवार को खगड़िया सांसद चौधरी महबूब अली कैसर ने उर्दू साहित्य के विकास में सुबे के साहित्यकार व कवियों की भूमिका पर आयोजित एक दिवसीय सेमिनार का उद्घाटन किया। कौमी काउंसिल के सहयोग से आयोजित इस सेमिनार की अध्यक्षता बीएन मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा के वरीय शिक्षक डा अबुल फजल ने एवं संचलनब लुतफुर रहमान ने किया।

इस मौके पर खगड़िया सांसद चौधरी महबूब अली कैसर ने कहा कि उर्दू किसी धर्म की भाषा नहीं है, बल्कि यह शुद्ध भारतीय भाषा है और इस भाषा की मिठास लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। मगर उर्दू को स्वतंत्रता के बाद एक विशेष धर्म से जोड़ देने से भी नुकसान पहुंचा और कुरान का सबसे पहले उर्दू में अनुवाद करने वाले शाह अब्दुल कादिर पर कुफ्र का फतवा लगाने से भी पहुंचा। इसलिए उर्दू के विकास के लिए सबको साथ लेकर चलने और नई नस्ल को उर्दू से अवगत और शिक्षा दिला कर ही इस भाषा का विकास कर सकते हैं।

ये भी पढ़ें : लोकसभा में सांसद डीसी यादव ने उठाया बिदुपुर-पूर्णिया वाया सि.ब.पुर फोरलेन का मुद्दा

मुख्य अतिथि मुफ्त सईदुर रहमान कासमी ने उर्दू के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह भाषा लखनऊ और दिल्ली में पली बढ़ मगर इसका विकास बिहार में हुआ। उन्होंने इमारत शरिया के द्वारा उर्दू के विकास के लिए चलाए जा रहे अभियान में लोगों को सहयोग करने की अपील किया। पटना विश्वविद्यालय के शिक्षक डा अब्दुल बासित हमीदी ने विस्तार से उर्दू के साहित्यकारों का परिचय कराते हुए कहा कि उर्दू साहित्य ने स्वतंत्रता आंदोलन में काफी अहम रोल अदा किया है।

उन्होंने कहा कि बिहार के साहित्यकारों ने विश्व स्तर पर उर्दू की काफी सेवा की है जिसको भुलाया नहीं जा सकता है। वरिय लेखक व शिक्षाविद वजीह अहमद तसौवुर ने उर्दू साहित्य में बिहार के साहित्यकारों एवं कवियों के सेवाओं का विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि हर दौर में बिहार के साहित्यकारों ने उर्दू की उलझी जुल्फों को सुलझाने का काम किया है।

ये भी पढ़ें : खगड़िया में हुए सोना छिनतई का तार जुड़ा सिमरी बख्तियारपुर से, गिरफ्तार

हरिवल्लभ कॉलेज सोनवर्षाराज के प्रोफेसर मो एहसान ने उर्दू गजल पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि उर्दू साहित्य में गजल की प्रमुख भूमिका रही है और गजल ने लोगों के दिलों पर ऐसा राज किया है, उसके जरिए उर्दू आमलोगों के करीब हुई। बिहार के बहुत सारे गजल के शायर सिर्फ राज्य ही नहीं राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। इस अवसर पर अब्दुल बारी कासमी, डा मो फुरकान, डा सैफुल्लाह सैफी, अफसर इमाम आदि ने भी अपने विचार रखे।

Advt.

आमंत्रित अतिथियों का स्वागत फाउंडेशन के अध्यक्ष मुफ्ती जिल्लुर रहमान ने किया। जबकि इस अवसर पर शाहनवाज बद्र, प्रो ताहिर, तनवीर आलम, अली इमाम, हाफिज कौसर, गुलाम फखरूद्दीन, मेराज आलम, फैयाज आलम, नूर आलम, सालिक इमाम, मुमताज रहमानी, जियाउद्दीन नदवी, मनजूर आलम, अतीकुज्जमां आदि शामिल रहे।

YOU MAY ALSO LIKE : Attempts To Brand Farmers as ‘Anti-National’ Are Only Strengthening Their Solidarity https://m.thewire.in/article/rights/ghazipur-farmers-anti-nation-laws-solidarity-strengthen