अपने ही घटवार की हत्या कर दुश्मनों को हत्यारोपी बना देने था आरोप
  • कोशी नदी के घाट पर नाव परिचालन को लेकर दियारा में गुंजतीं रही है बंदुकें

ब्रजेश भारती : कोसी दियारा क्षेत्र के फरकिया में रविवार शाम वांटेड मौसम यादव की गोलियों से छलनी कर हत्या के बाद दियारा क्षेत्र का तापमान बढ़ गया है। मौसम यादव करीब एक वर्षों से फरारी जीवन व्यतीत कर रहा था। पुलिस मौसम यादव की तलाश कर रही थी लेकिन उसकी मौत रविवार देर शाम कर दिया गया।

मौसम यादव, फाइल फोटो

इस घटना से पूर्व नवंबर 2019 में करहरा घाट पर मौसम यादव के नाविक घल्लू चौधरी की हत्या मौसम यादव के मंडप स्थित फूंस के घर में कर दिया गया था। इस कांड में मौसम यादव की मां ने हत्या का आरोप 11 नामजद सहित अन्य अज्ञात पर लगाया था।

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हालांकि पुलिस अनुसंधान व मृतक के परिजनों के लिखित आवेदन पर घूल्लू चौधरी की हत्या का आरोप रूपए के लेनदेन में मौसम यादव व उसके भाईयों पर ही गठित हो गया था। इसी मामले में मौसम यादव की गिरफ्तारी के लिए पुलिस उसकी तलाश कर रही थी।

कोशी नदी के घाट पर नाव परिचालन को लेकर होती है अदावत : रविवार को मौसम यादव की हत्या कहीं ना कहीं अदावत को लेकर होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। अक्सर कोशी दियारा क्षेत्र में कोशी नदी के घाट पर नाव परिचालन को लेकर विभिन्न गुटों में वर्चस्व को लेकर गोलीबारी होती रही है। अब तक आधा दर्जन से अधिक गुटों के बीच लड़ाई हो चुकी है जिसमें कई नामी बदमाश मारे जा चुके हैं।

नाव से कोशी दियारा जाती पुलिस(फाइल फोटो)

कई कुख्यात पैदा हुए दियारा में : कोसी दियारा – फरकिया क्षेत्र में हमेशा से अपराधियो का गढ़ रहा है‌। इस भूमि में रामानंद यादव गिरोह एवं नक्सलियों में बराबर खूनी संघर्ष का बहुत पुराना इतिहास है। नक्सली दियारा – फरकिया में अपना संगठन मजबूत करने व जमीन हड़पने के लिए खूनी संघर्ष करते है तो वही रामानंद गिरोह अपना वजूद बचाने के लिए नक्सलियों से टकराते रहे थे। परंतु यह भी सच है कि कइयों बार रामानंद पहलवान गिरोह ने नक्सलियों से भिंडत कर पुलिस की भी प्रतिष्ठा बचाई थी। जिस वजह से रामानंद पुलिस के हितैषी भी बन गया था। लेकिन 2020 में रामानंद यादव की गैंगवार में हत्या कर दी गई।

दर्जनों मुठभेड़ का गवाह बना कोशी दियारा : सहरसा – खगड़िया जिले के सीमावर्ती इलाका कोशी दियारा के फरकिया क्षेत्र में कई अपराधी गिरोह का सफाया अबतक एसटीएफ ने किया है। कोशी दियारा कि धरती बीते कई वर्षो से गोलियों की गुंज से थर्रा चुकी हैं। हालांकि बीच – बीच में एसटीएफ की कार्रवाई से क्षेत्र मे शांति को बढावा मिला हैं।

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दियारा में करीब आधा दर्जन छोटे -बड़े अपराधी गिरोहों का वर्षो से बर्चस्व कायम रहा हैं। जिनमें रामपुकार यादव, रामानंद यादव ने भी दियारा में अपना वर्चस्व दिखाया। वर्ष 2006 में दियारा का कुख्यात इंगलिस चैधरी को सरस्वती पुजा के दिन कबीरपुर गांव में लगे मेले के दौरान एसटीएफ ने मुठभेड में मार गिराया। उसके बाद गिरोह कि कमान सत्तन चैधरी के पास आ गई। वही छबीलाल यादव के अंत के बाद रामपुकार यादव के पारिवारिक गिरोह की कमान विपीन के पास थी जो कुछ साल पहले एसटीएफ के हत्थे चढ़ा। फिलहाल वह जेल से बाहर है। वर्तमान में विपीन व दिनेश समाज की मुख्य धारा में शामिल होने का प्रयास कर रहे हैं।

कुख्यात रामपुकार था सरगना : रामपुकार यादव पुर्णिया जिले के जानकी नगर थाना क्षेत्र में एक आपसी गैंगवार में मारा गया। रामपुकार की मारे जाने के बाद गिरोह की कमान छोटे भाई रमेश यादव ने संभाल लिया। इस बीच सत्तन चौधरी व रमेश यादव के बीच वर्चस्व को लेकर गोलाबारी व हत्या की घटना बीते समय में होती रही। जिसकी वजह से दोनो गिरोह पुलिस के लिये सरदर्द बनी रही।

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सत्तन का दबदबा रहा : खगड़िया जिले के धमारा धाट रेलवे स्टेशन से पुरब सिसवा गांव में वर्ष 2008 में सत्तन चैधरी को मुठभेड़ में पुलिस ने मार गिराया। हालांकि पुलिस के सहयोगी मुखिया विजय यादव भी इस मुठभेड में मारे गये। सत्तन चौधरी के मारे जाने के बाद दियारा क्षेत्र में रमेश यादव की एक बार फिर से वापसी हो गई और दियारा क्षेत्र में तूती बोलने गली।

गैंगवार में मरा कुख्यात रमेश : सहरसा जिले के बनमा ईटहरी प्रखंड के खुरेशान गांव चिमना रही बहियार में गैंगवार में कुख्यात रमेश यादव व शार्प सुटर बैधनाथ यादव की हत्या जाहिद उर्फ कमांडों के द्वारा कर दी गई। रमेश के मारे जाने के बाद उसके उत्तराधिकारी के रूप में छोटे भाई छबिलाल यादव ने गिरोह की कमान संभाल ली‌। अंतत वर्ष 2009 में खगड़िया जिले के कैंजरी मोड़ के समीप पुलिस मुठभेड में छबिया यादव व उसके दो सहयोगी का अंत हो गया। फिर पुलिस ने कुख्यात जाहिद उर्फ कमांडो को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, जो आज भी जेल में कैद है।