जब तक हमारी मांगे नहीं मानी जाएगी अनवरत जारी रहेगा हड़ताल : सफाईकर्मी

सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) ब्रजेश भारती। सहरसा जिले के नगर पंचायत सिमरी बख्तियारपुर के करीब अस्सी स्वीपरों ने सोमवार से हड़ताल पर चले जाने से सफाई कार्य बिल्कुल ठप पड़ गया है। कुल पंद्रह वार्डों में कचरा जमा हो जाने से बदबू फैलना शुरू हो गया है। स्वीपरों का कहना है कि ससमय व सरकार द्वारा निर्धारित राशि की भुगतान नही किये जाने पर भारी कठिनाइयों के दौर से गुजरना पर रहा है। वर्तमान में प्रति स्वीपर 259 रुपये की भुगतान की जाती है। कुल 80 स्वीपरों द्वारा नगर पंचायत क्षेत्र के कुल 15 वार्डों की सफाई कार्य की जाती है।

स्वीपरों के आरोप है कि विभाग द्वारा सफाई सामग्री झाड़ू, कुदाल, गैंता, ग्लोब्स, मास्क, वर्दी आदि सामग्री नही दी जाती है। स्वीपरों को किसी प्रकार का लिखित कागजात या प्रमाण पत्र नही दिया गया है। अपनी समस्या बताने व कागजात की मांग की जाने पर कार्यपालक द्वारा नौकरी से हटा देने की धमकी दी जाती है। स्वीपरों के आरोप है कि कोरोना काल मे जान जोखिम में डाल लगातार कार्य किये जाने के बावजूद कार्यपालक द्वारा इसकी राशि नही देकर बंदरबांट कर ली गई है। शाबाशी देने के बजाय डांट फटकार व गाली गलौज सुननी पड़ती है। इतना ही नही कोरोना काल में दो स्वीपर भोगी मल्लिक व दुलूर देवी की मौत हो जाने के बावजूद सहायता राशि देने की बात तो दूर घड़ियाली आंसू भी बहाने नही आये हैं।

स्वीपरों के आरोप है कि पीएफ का साढ़े बारह प्रतिशत राशि की कटौती की जाती है जिसका भी आज तक कोई प्रमाण पत्र हमलोगों को नही दिया गया है। स्वीपरों की सबसे दुखद स्थिति यह है कि विभाग द्वारा झाड़ू नही देने पर स्वीपरों को खुद बाजार से खरीद सफाई करनी मजबूरी है। सभी स्वीपरों ने एक स्वर से सफाई पर सरकार द्वारा खर्च की जानेवाली राशि की जांच करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर सिर्फ सफाई खर्च की गई राशि की जांच की जाती है तो एक बड़ा घोटाला उजागर होने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता है।

हालांकि कार्यपालक कमलेश कुमार ने बताया कि सफाई कार्य एनजीओ के द्वारा किया जाता है। इधर सफाई कर्मी पूरे पैसे लेने के बावजूद भी मात्र 4 घंटा काम करना चाहते हैं। एनजीओ एवं सफाई कर्मियों के बीच गतिरोध बना हुआ है। मैंने पहल कर दोनों पक्षों को बुलाकर अभिलंब जांच पड़ताल कर सफाई कार्य को शुरू कराया जायेगा।