सिमरी बख्तियारपुर के बलवाहाट बाजार में प्रति दिन नान खटाई खाने के लिए पहुंचते हैं लोग
  • मेरठ के प्रसिद्ध नान खटाई का स्वाद लेना हो तो आईए बलवाहाट बाजार

सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) ब्रजेश भारती : कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के दौरान बहुत कुछ बदल गया। लोगों के दिन चर्या से लेकर मजदूरों के रोजगार का तरीका भी बदला। कल तक प्रवासी मजदूर बन जीवन यापन करने वाले बिहारी अब आत्मनिर्भर बन जिंदगी जी रहे हैं।

सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड अंतर्गत बलवाहाट ओपी क्षेत्र के खोजुचक निवासी 45 वर्षीय विनोद पासवान की जिंदगी भी कोविड के कारण बदल गया है। अब वह प्रतिदिन बलवाहाट बाजार में देश के प्रसिद्ध शहर मेरठ के प्रसिद्ध नान खटाई खास्ता बिस्कुट बेचकर आत्मनिर्भर बन परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं।

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बतौर विनोद पासवान ने बताया कि कोरोना काल से पहले वह लुधियाना शहर में नान खटाई बनाया सिख, फिर दिल्ली के सड़कों पर नान खटाई बेच प्रवासी मजदूर बन परिवार चलाते थे। कोराना का दस्तक बाद सब कुछ बदल गया। लॉकडाउन लगते ही किसी तरह घर आए। यहां आते ही बेरोजगार हो गए। जो भी रूपए बचा कर रखें थे लॉकडाउन में खत्म हो गए।

लॉकडाउन लंबा हो देख अपने गांव घर में ही रोजगार की तलाश शुरू किया। किसी प्रकार का कोई आस नजर नहीं आया। ना तो सरकारी स्तर पर किसी प्रकार की सहायता मिली ना ही किसी प्रकार का सही रोजगार मिला तो खुद आत्मनिर्भर बनाने की ठान, खुद के हुनर को हथियार बना नान खटाई बेचने की ओर रूख कर दिया।

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बतौर विनोद उसने कुछ रूपये कर्ज लेकर एक ठेला खरीदा और नान खटाई खास्ता बनाने हेतु सामग्री वगैरह खरीदा। इसके बाद नान खटाई खास्ता बनाकर ठेला पर बेचने की शुरुआत कर दी। पहले तो बाजार में जब नान खटाई लेकर निकले तो लोग समझ ही नहीं रहे थे कि यह है क्या ? पहले जो भी पुछने आते थे उन्हें यह नान खटाई के स्वाद रस पान कराते थे। धीरे धीरे लोगों को स्वाद अच्छा लगने लगा।

कैसे बनता है नान खटाई खास्ता : विनोद पासवान ने बताया कि मेरठ का प्रसिद्ध नान खटाई खास्ता बनाने में काफी सावधानियां बरतनी पड़ती है। नान खटाई तैयार करने के लिए एक निश्चित अनुपात में मैदा, बेसन, सूजी, चीनी, घी, इलायची, बेकिंग पाउडर लिया जाता है। नान खटाई बनाने के लिए तैयार मिश्रण को आटे की तरह गूंथा जाता है। उसके बाद छोटी-छोटी टिक्की बनाकर ट्रे पर लगा दी जाती है। एक साथ दो ट्रे ऊपर नीचे रखी जाती है। नीचे और ऊपर की ट्रे पर कोयला की आग से गर्म किया जाता है। कुछ देर उसे ऐसे ही धीमी आंच में पकने के लिए छोड़ दिया जाता है। 20 से 25 मिनट में नान खटाई बनकर तैयार हो जाती है। हालांकि, अब हलवाई नान खटाई बनाने के लिए आधुनिक ओवन का इस्तेमाल करने लगे हैं। लेकिन जो मज़ा इस नान खटाई में आता है वह ओवन वाली में नहीं है।

आर्थिक स्थिति में होने लगी सुधार : विनोद ने बताया कि स्वंय का रोजगार खोलने के बाद इसकी कमाई से परिवारो का भ्रण पोषण कर रहे हैं। इससे हमारी माली हालत में सुधार होने लगा है। इस स्वंय के रोजगार से परिवार के लोग भी काफी खुश हैं। हमें भी लग रहा है अब गांव घर में रहकर अपना धंधा हो गया है कौन जाए प्रदेश।

नहीं कहलाएंगे प्रवासी मजदूर : आत्मनिर्भर बनने के बाद विनोद ने बताया कि अब पुन: प्रदेश कमाने के लिए नहीं जाएंगे। अब हम यहीं कमाएंगे और यहीं रहकर परिवार का भ्रण पोषण करेंगे। जो भी हो कोरोना काल में लगे लॉकडाउन ने हमारे परदेशी जीवन में बदलाव ला दिया है। अब प्रदेश से तौबा कर लिए हैं। रोजाना करीब हजार रूपया के आसपास की कमाई हो जा रहा है।

लोगों की पसंद बन गई है नान खटाई : मेरठ का प्रसिद्ध नान खटाई खास्ता बलवाहाट बाजार में भी काफी प्रसिद्ध हो रहा है। विनोद ने बताया कि बलवाहाट बाजार में ठेला पर हीं ताजा बनाकर यह नान खटाई खास्ता बनाकर बेचते हैं। जो कि यहां के लोगों सहित आसपास के क्षेत्र के लोगों की भी पसंद बनती जा रही है। दुकान को खोलते हीं लोगों की खरीदारी को लेकर भीड़ उमर पड़ती है।