चढ़ाएं गए दुध से कोशी नदी में बह जाती है दुध की धारा

सहरसा : महान संत बाबा कारू खिरहरि का दुग्धाभिषेक आज होगा। इसको लेकर भारी संख्या में भक्तों की भीड़ भी जुटेगी। वहीं, कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए प्रशासन द्वारा जारी मार्गदर्शन का पालन करवाने के प्रयास में स्थानीय प्रशासन व मंदिर समिति के सदस्य तैयारी में है।

कुछ इस कदर बहती है दुध की धारा (फाइल फोटो)

शारदीय नवरात्रा के सप्तवीं को बाबा का होता है दुग्धाभिषेक : शारदीय नवरात्रा के दिन दूर-दूर से पशुपालक बाबा का दूध से अभिषेक करने यहां आते हैं। सैंकड़ों क्विटल दूध से होता है कारू बाबा का अभिषेक। बाबा को चढ़ने वाले दूध की धार मंदिर से निकलकर कोसी नदी में गिरती रहती है। बाबा को प्रसाद के रूप में खीर का लगता है भोग, जिसे पाने के लिए हजारों की संख्या में भक्त कतारबद्ध रहते हैं।

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ऐसी मान्यता है कि पशुओं को होनेवाली बीमारियों का निवारण बाबा के भभूत (भष्म) से होता है। जिसके कारण क्षेत्र ही नहीं आसपास के जिला सहित पड़ोसी देश नेपाल से पशुपालक बाबा के दरबार में अपने दुधारू पशु का दूध चढ़ाने यहां आते हैं।

दुग्धाभिषेक को कुछ इस तरह उमड़ती है भक्तों की भीड़

संत कारू खिरहरि भगवान कृष्ण के वंशज थे : स्थानीय लोगों का मानना है कि कारू खिरहरि के वंशज भगवान कृष्ण के वंशज थे और मथुरा से पलायन कर इस क्षेत्र में आए थे। उनका भी मुख्य पेशा पशु पालन ही था। इस क्षेत्र में दूध उत्पादन में अपनी अलग ही पहचान रही है जिसमें इनके पूर्वजों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

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मेला के आयोजन पर प्रशासन द्वारा रोक : कोरोना महामारी और विधानसभा चुनाव को लेकर प्रशासन द्वारा मेला के आयोजन पर रोक लगाई गई है जिसके मद्देनजर स्थानीय मंदिर समिति द्वारा इस वर्ष सप्तमी को होने सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं करवाने का निर्णय लिया गया है। इनपुट जागरण।

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