कोविड काल में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी तेज, अटकलों का बाजार गर्म

ब्रजेश की बात : बाढ़ व पिछड़ेपन के लिए अपनी पहचान रखने वाले कोसी प्रमंडल के तीन जिलों के विधानसभा चुनाव में हमेशा दो पक्षों में सीधी लड़ाई हुई है। हमेशा कोसी में जदयू आगे रही है लेकिन अगर कोई पार्टी इन्हें टक्कर देने का काम किया है तो वह हैं आरजेडी। विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी भी एक-दो सीटों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रही है़।

ब्रजेश की बात

अब इस बार का चुनाव के मैदान में राजद व जदयू ही निर्णायक होंगे़ पिछले दो चुनाव का आंकलन करें, तो प्रमंडल के कुल तीन जिले सहरसा, मधेपुरा व सुपौल के 12 विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी को मात्र एक सीटें मिली थीं। जबकि, राजद को चार व जदयू को सबसे अधिक सात सीटों पर जीत मिली थी़। अगर सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा उपचुनाव को जोड़ दें तो राजद के खाते में एक सीट जुट जदयू के खाते से एक सीट कम हो जाएगी।

वर्तमान हालत की बात करें तो सहरसा के चार सीटों में सिमरी बख्तियारपुर, महिषी, सहरसा में राजद तो सोनवर्षा राज विधानसभा में जदयू का कब्ज़ा है। मधेपुरा जिले के अधिकांश सीटों पर जदयू का ही कब्जा रहा, जबकि सहरसा में राजद को सीटें मिली थी़ दो उपचुनाव जोड़ दे तो यह हो गया तीन। चुनाव में खास बात यह रही है कि इन क्षेत्रों से कांग्रेस, वामदल सहित अन्य पार्टियां बाहर रही हैं।

वर्ष 2015 में जदयू रही है आगे : कोसी क्षेत्र के मधेपुरा जिले के 2015 के विधानसभा चुनाव में आलमनगर, बिहारगंज, सिंगेश्वर में जदयू ने कब्जा जमाया था़ इस चुनाव में मधेपुरा में राजद का कब्जा रहा़ वहीं, सहरसा जिले के सोनवर्षा में केवल जदयू को जीत मिली थी़ राजद ने महिषी और सहरसा की सीट पर जीत दर्ज किया था़ इसके अलावे सुपौल जिले के सुपौल, निर्मली व त्रिवेणीगंज पर जदयू ने जीत दर्ज किया़ पिपरा की सीट पर राजद व छातापुर की सीट पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था।

2010 के विधानसभा चुनाव में राजद को मात्र दो सीटें : वर्ष 2010 के विस चुनाव में तीनों जिले में राजद को मात्र दो सीटों से संतोष करना पड़ा था़ राजद को सहरसा जिले के महिषी व मधेपुरा जिले के मधेपुरा सीट पर जीत मिली थी। इसके अलावा आलमनगर, बिहारगंज, सिगेंश्वर, सोनवर्षा के अलावे सुपौल, पिपरा, निर्मली, छातापुर व त्रिवेणीगंज, सिमरी बख्तियारपुर पर जदयू ने कब्जा जमाया था़ बीजेपी को 2010 के विधानसभा चुनाव में पिछली चुनाव की तरह सहरसा की एक मात्र सीट पर संतोष करना पड़ा।

2020 के विधानसभा की संभावना : इस बार के विधानसभा चुनाव का बिगुल इसी माह के किसी तिथि को बज सकती है। सभी दल एवं भावी प्रत्याशी टिकट की दौड़ में रेस लगा रहे हैं। गत चुनाव में जदयू-राजद एक साथ चुनाव लड़ी थी इस बार परिस्थिति उल्टा है। दोनों आमने-सामने सीधी टक्कर में है। जदयू को बीजेपी, एलजेपी का तो राजद को कांग्रेस, वामदल एवं मुकेश सहनी की पार्टी का साथ मिल रहा है। इस बार कोसी में कौन आगे कौन पीछे रहेगा यह देखने वाली बात होगी।

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