तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने 22 सितंबर 1992 को किया था अनुमंडल का उद्घाटन
  • समय बदला, सुरत बदली, नहीं बदली तो इस अनुमंडल की मूलभूत समस्या

सिमरी बख्तियारपुर से ब्रजेश भारती की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट : आज से ठीक 28 वर्ष पहले 22 सितंबर 1992 को सहरसा जिले के तीन प्रखंडों को जोड़ सिमरी बख्तियारपुर को अनुमंडल का दर्जा बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने प्रदान किया था। आज अनुमंडल स्थापना का 28 वर्षगांठ है।

अनुमंडल कार्यालय भवन

गत वर्ष की भांति इस बार भी अनुमंडल वासी स्थापना का वर्षगांठ की खुशी नहीं मनाएंगे चुंकि वर्तमान समय वैश्विक महामारी कोरोना चल रहा है। गत दो वर्षों से चुनाव आचार संहिता की वजह से ( एक बार लोकसभा व दुसरे बार विधानसभा उपचुनाव को लेकर ) वर्षगांठ अंतिम समय में स्थगित करना पड़ा था इस बार कोरोना संक्रमण बाधित बन गया है।

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खैर वर्षगांठ नहीं मना सकें तो क्या हुआ लेकिन इन 28 वर्षों में हम कहां से कहां पहुंचें इस पर चर्चा तो कर ही सकते हैं। इन 28 वर्षों में समय बदला, सुरत बदली अगर नहीं बदली तो यहां की आम आवाम की मूलभूत समस्या की तकदीर। शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात, शुद्ध पेयजल सहित अन्य समस्या आज भी विकराल रूप धारण कर मानों यह कह रही है कि यह यहां के जन प्रतिनिधि की वस की बात नहीं है।

वर्तमान मधेपुरा सांसद की वजह से मिला था अनुमंडल का दर्जा : कहां जाता है कि तत्काली लालू प्रसाद यादव बिहार के विभिन्न हिस्सों को अनुमंडल व प्रखंड का दर्जा देने का काम कर रहे थे। बताया जाता है कि सोनवर्षा राज प्रखंड को अनुमंडल का दर्जा देने की कवायद हो रही थी लेकिन वर्तमान मधेपुरा सांसद सह तत्कालीन विधायक दिनेश चंद्र ने मंत्री पद ठुकरा कर सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड को अनुमंडल का दर्जा दिलाने का काम किया था।

वर्ष 1954 में मिला था सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड को प्रखंड का दर्जा : 24 फरवरी 1954 को सिमरी बख्तियारपुर को प्रखंड का दर्जा मिला था। वहीं 9 जुलाई 2012 को सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के दो पंचायत के 15 वार्डों को मिलाकर नगर पंचायत का दर्जा दिया गया। अनुमंडल के तीन प्रखंड सिमरी बख्तियारपुर, सलखुआ एवं बनमा इटहरी प्रखंड है।

अनुमंडलीय अस्पताल भवन

सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल के कोसी तटबंध के अंदर के इलाके के इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो सदियों से उपेक्षित इस इलाके की दुर्गम स्थिति को देखकर अकबर के कुशल वित्त मंत्री टोडरमल ने अधिकांश भू भाग को फरकिया क्षेत्र घोषित कर दिया था। दुर्गम क्षेत्र को देखते हुए फरकिया को कर (टेक्स) लगाने से मुक्त कर दिया था।

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लेकिन तेजी से भागती तकनीकी दुनिया में कोसी तटबंध के अंदर के इलाके फरकिया का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है। अंदर सड़क तो बनी लेकिन आज भी एक अदद डेंगराही घाट पुल सपना बना हुआ है। आज भी अनुमंडल मुख्यालय तक पहुंचने के लिए नाव का सहारा लिया जाता है। कोसी नदी पर एक अदद पुल की चिर प्रतिक्षित मांग है।

प्रसिद्ध बाबा मटेश्वर धाम मंदिर

26 वर्ष बाद अनुमंडल भवन तो मिला लेकिन अभी भी बहुत कुछ है बाकी : अनुमंडल बनने के 26 वर्ष बाद अनुमंडल को अपना भवन तो मिला लेकिन स्थापना के 28 वर्ष बीतने के बावजूद भी सिमरी बख्तियारपुर में अनुमंडल न्यायालय, उप कोषागार, माप तोल कार्यालय, अनुमंडल शिक्षा कार्यालय, जेल सहित अन्य कार्यालय अभी तक नहीं खुल पाए है। जिसके कारण यहां के लोगों को अभी भी कई कार्यों के लिए सहरसा मुख्यालय जाना पड़ता है।

पदाधिकारी और कर्मी की है कमी : अनुमंडल कार्यालय में निर्धारित पोस्ट के अनुसार अधिकारी एवं कर्मी की कमी है। जिससे अनुमंडल कार्य पर कुप्रभाव पड़ता है। अनुमंडल में वर्तमान में प्रधान लिपिक सहित 10 कर्मी कार्यरत हैं। वही अनुमंडल कार्यालय में अवर निर्वाचन पदाधिकारी, सहायक आपूर्ति पदाधिकारी का पद रिक्त है। वहीं मानदेय पर 7 ऑपरेटर कार्यरत हैं।

नगर पंचायत सिमरी बख्तियारपुर

नगर की समस्याएं : नगर पंचायत मुख्य बाजार की जर्जर सड़क एवं नाला की समस्या मुंह बाए खड़ी है। अतिक्रमण के कारण जाम की समस्या बनी रहती है। हालांकि मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्य बाजार सड़क एवं नाला निर्माण का शिलान्यास किया है। जिससे नगरवासी की उम्मीद बंधी है।

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शुद्ध पेयजल आपूर्ति योजना के तहद पानी टंकी बनकर तैयार है। लेकिन संवेदक की लापरवाही के कारण अभी तक शुरू नहीं हो पायी है। जल निकासी के कोई मास्टर प्लान अब तक नहीं बना है। अनुमंडल अस्पताल में स्वीकृत पद के अनुसार चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मी नहीं रहने के कारण स्थिति बदतर है। इसके अलावा नर्स ट्रेनिंग स्कूल, दिव्यांग भवन, प्रखंड कार्यालय भवन बन कर तैयार है। लेकिन इस ओर कुछ नही हो रहा है।

अनुमंडल में उच्च शिक्षा के लिए प्रस्तावित डिग्री कॉलेज नहीं बन सका है। आईटीआई कॉलेज भवन कार्य प्रगति पर है। उच्च शिक्षा के लिए आज भी सहरसा सहित अन्य स्थानों पर निर्भर रहना पड़ता है। आज भी यहां के लोगों के लिए उद्योग धंधे एक सपना से कम नहीं है। बेरोजगारी की समस्या की बात ही कहना बेकार है।

बाढ़ से है अभिशप्त यह इलाका : अनुमंडल के कोसी तटबंध के भीतर के इलाके कोसी के बाढ़ एवं कटाव के लिए अभिशप्त है। फरकिया जैसे दुर्गम इलाके का आवागमन सीधे अनुमंडल मुख्यालय तक पहुंचने का मार्ग भी प्रशस्त नहीं हो सका है। कोसी नदी के कटाव से सैकड़ों एकड़ में लगी फसल एवं मकान कोसी में कटकर विलीन हो रहे हैं। ड्रेनेज सिस्टम खराब रहने की वजह से तटबंध के बाहरी इलाके की खेती भी हर वर्ष पानी की वजह से चौपट हो जाती है।

ब्रजेश की बात

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि 28 वर्ष बाद भी जिस प्रकार की विकास की उपेक्षा यहां कि जनता को थी उस पर खड़ा नहीं उतारा गया इसका दोषी कौन है यह यहां कि जनता को पता है अब देखने वाली बात होगी कि आगे होता है क्या ? तब तक के लिए बनें रहें ब्रजेश की बात आनलाइन न्यूज़ के साथ….!