श्रावण मास में लगने वाले मेले को अगले आदेश तक किया गया स्थगित

सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) ब्रजेश भारती : सावन माह में कोरोना संक्रमण के फैलने की आशंका के मद्देनजर बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के निर्देश के आलोक में सहरसा जिले के सिमरी बख़्तियारपुर अंतर्गत बलवाहाट स्थित मिनी बाबा धाम के नाम से मशहूर बाबा मटेश्वर धाम में इस बार कोरोना काल में पुजा अर्चना नहीं होगी। मंदिर में ताला लगा दिया गया है।

प्रसिद्ध बाबा मटेश्वर धाम मंदिर

गुरूवार को मंदिर परिसर में न्यास समिति की आपातकालीन बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता न्यास समिति के अध्यक्ष डॉ अरुण कुमार यादव ने किया। बैठक को संबोधित करते हुए डॉ अरुण यादव ने कहा कि न्यास समिति के द्वारा सावन में मंदिर में पूजा नही करने को लेकर आदेश आने के उपरांत यह निर्णय लिया गया है कि हर साल की भांति सावन में बाबा मटेश्वर मंदिर में लगने वाले श्रावणी मेले को स्थगित कर दिया गया है।

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इस दौरान मंदिर में किसी भी तरह की पूजा पर रोक लगा दी गई है। गर्भगृह के बाहरी गेट एवं मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया गया है। इधर बैठक उपरांत मंदिर में न्यास समिति ने अगले आदेश तक मंदिर में ताला लगा दिया गया है। मंदिर में पूजा अर्चना पर रोक लगने के आदेश पर न्यास समिति में मायुशी देखी जा रही है। वहीं श्रद्धालुओं में निराशा का भाव है।

न्यास समिति की आयोजित आपातकालीन बैठक

ज्ञात हो कि जिले के सिमरी बख्तियारपुर स्टेशन से 13 किलोमीटर दूर कांठो पंचायत स्थित बाबा मटेश्वर धाम का शिवलिंग स्वयं अंकुरित है। 22 एकड़ जमीन के बीच लगभग 25 फीट ऊंचे टीले पर यह शिव मंदिर अवस्थित है। बाबा मटेश्वर धाम का शिवलिंग ढ़ाई फीट ऊंचा एवं चार फीट मोटा है। शिवलिंग व उसका चबूतरा काले पत्थर का है। लेकिन शिवलिंग कहीं भी उस चबूतरे को नहीं छूता है।

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अष्टदल में कटे शिवलिंग व चबूतरे के बीच चारों ओर एक इंचच का शून्य स्थान है जिसमें सालों भर जल भरा रहता है‌। यहां पूजा-अर्चना के लिए आने वाले श्रद्धालु इसी जल को प्रसाद समझ ग्रहण करते हैं। इस जल की भी अपनी अलग कहानी है। चैत-वैशाख के महीने में जब धरती का जल स्तर नीचे चला जाता है, तब यह नीर बाहर निकलता रहता है और सावन – भादो के महीने में जब धरती का जलस्तर उपर आता है, तब इस शून्य स्थान का नीर नीचे चला जाता है।

मंदिर में शनि की भी अनोखी मूर्ति है यहां साल 2007 में यहां आये जगद्गुरु शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने भी कहा था कि ऐसा अद्भुत शिवलिंग पहली बार देखा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पटना से जनवरी 2007 में आये अधीक्षण पुरातात्विद् भारत सरकार के मणिकांत मिश्र ने सर्वेक्षण के क्रम में अपनी टिप्पणी में लिखा है कि यहां बहुत ही अद्भुत, अनोखा व अविस्मरणीय शिवलिंग स्थापित हैं।

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इस मंदिर के पौराणिकता की कहानी खुदाई के दौरान मिले पत्थर के किवार व चौखट बताते हैं। विशालकाय पीपल के पेड़ के नीचे रखे ये पत्थर भी आस्था का केंद्र बन आज पूजे जा रहे हैं। कुछ सालों में हरेक वर्ष लाखों कांवरियों का जत्था मुंगेर के छर्रापट्टी से जल भर यहां जलाभिषेक को पहुंचते हैं। लेकिन इस बार यह सब बंद रहेगा।

यहां बताते चलें कि बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष अखिलेश कुमार जैन ने भारत सरकार के गृह मंत्रालय के आलोक में बिहार सरकार के गृह विभाग द्वारा जारी आदेश के आलोक में बुधवार को दिशा-निर्देश जारी किया था जिसमें कहा गया है कि सरकार ने कोरोना महामारी को लेकर सामाजिक, राजनीतिक, खेल, मनोरंजन, सांस्कृतिक, धार्मिक एवं अन्य किसी प्रकार के भीड़ या समूह में होनेवाले आयोजन पर पूर्ण रोक लगा दी है।

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सावन में श्रद्धालुओं के जनसमूह से कोरोना महामारी का संक्रमण फैलने की संभावना के मद्देनजर बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद ने सूबे के सभी जिले के पदाधिकारियों से विचार-विमर्श कर हरिहर मेला, बाबा बैद्यनाथ धाम का मेले को पूर्ण रूप से बंद कर दिया। साथ ही सभी श्रद्धालुओं से आग्रह किया है कि कोरोना जैसी महामारी से स्वयं और परिवार को बचाने की कोशिश करें। मानव धर्म का पालन करते हुए घरों में ही आराधना और पूजा-पाठ करें।