फनगो हाल्ट के समीप पुराने रेलवे पुल 47 के पुरब जेसीबी मशीन लगा हो रहा खनन

फनगो से लौटकर संपादक की कलम से – राज्य में तमाम कोशिशों के बाद भी अवैध बालू का खनन पूरी तरह से जारी है। ताजा मामला सहरसा – खगड़िया बॉर्डर इलाके से सामने आ रहा है। जानकारी मुताबिक सहरसा जिला अंतर्गत सलखुआ से सटे खगड़िया जिला के फनगो से बड़े पैमाने पर लोकल बालू व मिट्टी का अवैध खनन किया जा रहा है। यह अवैध खनन का बालू मिट्टी आसपास के इलाके के अलावे सहरसा जिले के सलखुआ प्रखंड के विभिन्न इलाकों में आ रहा है।

दिन के उजाले में काला कारोबार : जी हां, बिहार के खगड़िया जिले के फनगो में पुल संख्या 47 के पास कोसी नदी से बड़े पैमाने पर बेरोकटोक बालू का खनन जारी है। परंतु खनन विभाग इन सब से बेखबर है और जिस वजह से दर्जनों की संख्या में बालू लदा ट्रैक्टर खगड़िया से सहरसा के सलखुआ से लेकर बनमा और सिमरी तक पहुंच रहा है। यह पूरा खेल रात के अंधेरे के बजाय दिन के उजाले में होता है.अवैध बालू से जुड़े माफिया फनगो से माठा ढ़ाला होते हुए मोबारकपुर से सिमरी बख्तियारपुर के विभिन्न स्थानों पर जाती है। वही दर्जनों ट्रैक्टर माठा ढ़ाला से बनमा इटहरी प्रखंड भी जाती है।

लोकल बालू मिट्टी का खेल : आप तस्वीरों में देख सकते हैं कि किस प्रकार नदी के तट पर जेसीबी लगाकर ट्रेक्टर से नदी किनारे से लोकल बालू मिट्टी काटी जा रही है। इस लोकल बालू मिट्टी का बाजार इस वक्त गर्म है। इस वक्त मिट्टी भराई कार्य का समय है लोग अपने घरों सहित अन्य कार्य के लिए लोकल बालू मंगवाते हैं। इससे जुड़े लोग नदी किनारे से बालू मिट्टी काट बेचते हैं। जहां शहरी इलाकों में मिट्टी के पैसे लगते हैं लेकिन इन इलाकों में बालू मिट्टी फ्री में नदी किनारे से काट बेचे जा रहे हैं।

बालू मिट्टी की हवस ने नदी को बना दिया कुंआ – सरकार की सख्ती के बावजूद सहरसा – खगड़िया जिले के बॉर्डर के आसपास अवैध लोकल बालू मिट्टी का खनन जारी है।बालू माफियाओं के अवैध खनन से सहरसा के सलखुआ प्रखंड से सटे खगड़िया के फनगो के कोसी नदी के तट पर बड़े – बड़े गड्ढे बनते जा रहे है जिससे हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। पैसे कमाने के चक्कर में बालू के खेल में शामिल सहरसा व खगड़िया के बालू माफिया जिंदगी में शांति व शीतलता लाने वाली नदियों को कब्रगाह बनाते जा रहे है।

वही जब ब्रजेश की बात के लिए संपादक स्वयं इस पुरे अवैध कार्य को समझने के लिए जब सिमरी बख्तियारपुर से फनगो के लिए रवाना हुई तो रास्ते में सलखुआ अंतर्गत मोबारकपुर, कोपड़िया के आसपास बालू लदे ट्रेक्टर आते दिखे। जब टीम ने ट्रेक्टर को रोक कर ड्राइवर से लोकल बालू लाने की जगह का नाम पूछा तो ड्राइवर ने फनगो से लाने की बात स्वीकार की। वही जब टीम फनगो स्थित पुल संख्या 47 के पास पहुंची तो जेसीबी मशीन की सहायता से बड़े पैमाने पर ट्रैक्टरों पर बालू लाद कर उसे सहरसा की ओर भेजा जा रहा था।प्रशासन के डर से बेखबर बालू माफिया बालू खनन में लगे दिखे।

बालू-मिट्टी एवं लोकल बालू का खेल : ऐसा नहीं है कि सिर्फ बालू मिट्टी की कटाई होती है। जब नदी किनारे से मिट्टी बालू काटने के क्रम में गहराई की ओर चली जाती है तो नीचे से लोकल बालू निकलने लगता है। इस लोकल बालू का प्रयोग विभिन्न कार्यो में डिमांड की वजह से उसे बाजार में बेचे जाने लगते हैं।

लोकल बालू बनाम लाल बालू : जहां बाजार में लोकल बालू सस्ते दर पर मिल जाता है वही लाल बालू महंगा है इस बात का फायदा ठीकेदार से लेकर कच्चे मकान बनाने वाले करते हैं। लोकल बालू खुले आम सरकारी योजनाओं खपाया जाता है इसलिए लोकल बालू का बड़े पैमाने पर अवैध खनन होता है। अब देखना दिलचस्प होगा कि मीडिया में खबर आने के बाद क्या हरकत में आती है खनन विभाग या फिर ढाक के तीन पात वाली बात होती है…!