भागलपुर की रहने वाली निगार ननिहाल पहाड़पुर में रह कर ही करती है पढ़ाई

सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) ब्रजेश भारती : हर मुसलमान का ईमान है कि रमज़ान-उल-मुबारक अल्लाह का महीना है। इसमें हर बालिग़ मोमिन को हुक्म है कि वो रोज़ा रखे। दुनिया की हर इबादत लोगों की नज़र में आ जाती है। लेकिन रोज़ा एक ऐसी फ़र्ज़ इबादत है जो सिर्फ़ रोज़ेदार जानता है या फिर उसका पाक परवरदिगार जानता है। इसलिए रोज़े की अहमियत बहुत ज़्यादा है।

रमज़ान-उल-मुबारक के महीने का इंतज़ार हर मोमिन बहुत ही बेसब्री से करता है। इसके लिए लोग तैयारियां बड़े शौक़ से करते हैं। हर मुसलमान चाहता कि वह रोज़ा रखे।

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अल्लाह की इबादत करने में बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी कम नहीं होते हैं। माहे रमजान में पड़ रही भीषण गर्मी और धूप की तपिश के बावजूद मासूम बच्चे भी रोजा रख कर अल्लाह की इबादत में मशगूल हैं और धूप, गर्मी, भुख, प्यास उनके हौसलों को डगमगा नहीं पाते हैं।

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ऐसे ही हौसलामंद बच्चों में एक नाम है उम्मे हबीबा उर्फ निगार प्रवीण की। जिसने इस पाक मुकददस महीना माहे रमजान का रोजा रखकर एक मिसाल पेश की है। नन्ही सी उम्मे हबीबा उर्फ निगार प्रवीण अपने ननिहाल सिमरी बख्तियारपुर के पहाडपुर में रहकर रेड रोज पब्लिक स्कूल अंग्रेजी माध्यम की कक्षा 6 में शिक्षा ग्रहण कर रही है।

नन्ही सी बच्ची ने कहा कि मेरा घर भागलपुर जिला के सबौर थाना क्षेत्र के राजपुर है लेकिन वह अपने ननिहाल में रह रही है और यही पढ़ाई कर रही है । उसने रोजा रखने के बारे में बताया कि रमजान का रोजा रखने से दिल को सुकून मिलता है अल्लाह इस महीने मे सब को खुश रखते हैं।

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घर के बड़े सदस्यों को रोजा रखते व इफ्तार करते देखती थी और उसके जहन में भी यह बात रहती थी कि वह भी रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करे। रोजा के साथ साथ पढाई करना यूं तो बहुत मशक्कत का काम है मगर जब हौसले बुलंद और दिल में खुदा का खौफ हो तो हर डगर आसान हो जाती है।

यहां बताते चलें कि निगार प्रवीण बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश संयोजक चाँद मंजर इमाम की भांजी है। गत वर्ष भी निगार एक माह तक रोजा रखी थी।