• दिन भर चाय-पान की दुकानों से लेकर चौक चौराहों पर एक ही चर्चा कौन बनेगा खगड़िया का एमपी
छः में दो-दो विधानसभा में दोनों गठबंधन को बढ़त को दो में मुकाबला कांटे का

सहरसा : देश में चल रहे 17 वीं लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान 23 अप्रैल को समाप्त हो गया। बिहार के खगड़िया लोकसभा क्षेत्र में भी शांतिपूर्ण वोटिंग बाद कुल बीस उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद हो स्ट्रांग रूम की शोभा बढ़ा रही है।

अब इंतजार है तो बस आगामी 23 मई को होने वाली मतगणना का। मतदान के पश्चात हालांकि सभी दल अपनी-अपनी जीत को सुनिश्चित बता रहे हैं। जहां एक तरफ प्रत्याशी अपने-अपने वोट की संख्या का आकलन करने में लगे हैं. वहीं लोकसभा के मतदाता भी अपने-अपने समर्थित प्रत्याशियों के हार-जीत का आकलन करने लगे हैं।

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मंगलवार शाम मतदान के पश्चात पूरे लोकसभा क्षेत्र में यहीं आम दिनचर्या बन गयी कहां किसको कितना वोट मिला,किस उम्मीदवार की क्या स्थिति है। लोग चाय दुकान, पान दुकान, दालानों आदि जगहों पर चुनावी नतीजे की ही चर्चा करते नजर आते हैं।

मतदाता एवं समर्थकों के अनुसार सभी विधानसभा क्षेत्रों में सीधा मुकाबला महागंठबंधन और एनडीए गठबंधन के बीच है। इस बीच एक निर्दलीय प्रत्याशी त्यागी जी का नाम भी लिया जा रहा है चुंकि कई क्षेत्रों में वो अपने जातिय वोट बैंक में निशाना साधते नजर आ गए हैं। लेकिन वो जीतने की रेस में नजर आ रहे हैं यह बात कही नहीं सुनी जा रही है।

अब अगर बाद करें विधानसभा क्षेत्र के अनुसार तो सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा में महबूब अली कैसर का गृह विधानसभा होने का सीधा लाभ उनको मिलता नजर आ रहा है। क्योंकि यहां महागठबंधन के ‌माय समीकरण पुरी तरह ध्वस्त नजर आया है।

वहीं हसनपुर विधानसभा क्षेत्र में महागठबंधन के मुकेश सहनी एनडीए के महबूब अली कैसर पर भारी पड़ रहें हैं। मतदान बाद मिली जानकारी के अनुसार यहां महागठबंधन को बढ़त मिल सकती है।

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वहीं खगड़िया विधानसभा में फिर एक बार मोदी सरकार का नारा सटीक बैठता देखा गया। भाजपा कार्यकर्ताओं में विरोध का असर अंततः मतदाताओं पर कहीं नजर नहीं आया। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में मतदाताओं ने बढ़ चढ़ कर मतदान किया। यहां एनडीए को फायदा मिलता दिख रहा है।

अलौली विधानसभा की बात करें तो यहां महागठबंधन के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के साथ लालू यादव के यादव वोट बैंक पुरी तरह एकजुट नजर आए। वहीं सहनी के जातीय वोट तो पहले से एक जुट थे। यहां महागठबंधन को फायदा मिलता साफ दिख रहा है।

बात करें परवत्ता विधानसभा कि तुो यहां मुकाबला काफी कांटे का नजर आ रहा है दोनों दलों के जातिय वोट बैंक एकजुट नजर आए। यहां कौन आगे कौन पिछे चल रहा है यह कहना बहुत कठीन नजर आ रहा है। उपेन्द्र कुशवाहा वोटर महागठबंधन में ट्रांसफर हो सका है यह बहुत सोचनीय विषय बना हुआ है।

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बेलदौर विधानसभा कि अगर बात करें तो यहां भी मुकाबला आसान नजर नहीं आ रहा है। महागठबंधन के यादव व सहनी वोटर खुलकर सामने आए लेकिन उपेन्द्र कुशवाहा व जीतन राम मांझी समर्थक कितना महागठबंधन को गले लगाए यह ईवीएम के पेट में कैद। वहीं एनडीए के वर्तमान वोटर एकजुट दिखे है।

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कुल मिलाकर सक सकते हैं कि मुकाबला कांटे का नजर आ रहा है। मुकेश सहनी को यहां की जनता दिल्ली का टिकट देती है या फिर पुनः मायानगरी वापस भेजती है। वहीं महबूब अली कैसर को यहां से दुबारा जीतने वाले सांसद की हैट्रिक लगाने का मौका देती है या फिर पुनः मुसको भव: कर देती है।