सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) ब्रजेश भारती।
बिहार के किशनगंज से कांग्रेसी सांसद और प्रसिद्ध इस्लामिक विद्वान मौलाना असरारूल हक कासमी के गत दिनों असामयिक निधन पर सहरसा जिले के बनमा ईटहरी प्रखंड के तेलियाहाट बाजार स्थित मदरसा जामिया दार ऐ गनिमत मकदमपुर में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
जिसमें उपस्थित वक्ताओं ने मौलाना कासमी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उनके व्यक्तित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि उनके जैसा महान व्यक्ति सदियों में पैदा होता है।
इस इस मौके पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मौलाना सऊद आलम कासमी, मौलाना जिया उद्दीन नदवी एवं मौलाना मोजाहिर कासमी ने कहा कि मौलाना असरारूल हक कासमी के निधन से धार्मिक, समाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में जो शून्य पैदा हुआ है उसको भर पाना असंभव है। मौलाना कासमी ने कई दर्जन शिक्षण संस्थानों की स्थापना कर सीमांचल जैसे पिछड़े क्षेत्रों में शिक्षा का दीप जलाने का काम किया। वह हिन्दू मुस्लिम एकता के बहुत बड़े पक्षधर थे और गरीबों की सेवा अपना धर्म समझते थे।
वही मदरसा के प्रधान हाफिज मोहम्मद शकील अहमद ने मौलाना कासमी के व्यक्तित्व पर आधारित अपनी कविता प्रस्तुत किया। इस से पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत कारी इरफान के तेलावत कुरान से हुआ।
जबकि कारी मो एहसान, अब्दुर रहमान, मुमताज आलम, अब्दुल्ला आदि ने नात शरीफ पेश किया।
इस श्रद्धांजलि सभा में मुख्य रूप से कारी अब्दुल नासिर, मौलाना मिन्नतुल्लाह, मौलाना मंसूर आलम, एवं मो मुजतबा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित लोगों में डा कमरुल होदा, मास्टर मो मसलेह उद्दीन, हाफिज शंजर, मास्टर शरफुद्दीन, अबुल कासिम, सोहैल अहमद, अब्दुर रब्बान, मास्टर मजलूम, मो कयाम, इरशाद आलम, मास्टर अब्दुल कुददुस, मास्टर युनुस, असगर आलम, मो सुल्तान, मो अकरम, सरवर आलम, अफसर उर्फ पिक्कू, ईसा रहमानी, आलमगीर, शब्बीर अहमद, जरीफ, इसाक, कैसर आलम, हाशिम, जावेद, जफर, शमशाद आदि मौजूद थे।