दुर्गा सप्तमी के दिन बिहार सहित पड़ोसी देश नेपाल से दुध चढ़ाने पहुंचते हैं लोग

सहरसा से ब्रजेश भारती की रिपोर्ट :- बिहार के कोशी इलाका हमेशा साधू संतों के लिए जाना जाता है यहां एक से बढ़कर एक महान संत का जन्म व कर्म भूमि रही है।

उन्हीं संतों में से एक संत है बाबा कारू खिरहरि। पशुपालकों खास करके यादव वंशज के अग्रज अनुयाईयों में सबसे पहले इन्हीं का नाम आता है। 
जिले के मैना महपुरा में इस महान संत का कोशी नदी की कछार पर मंदिर बना है।

यू तो यहां सालों भर भक्त अपने पशु का प्रथम दुध चढ़ाने आते रहते हैं लेकिनन वरात्र के सप्तमी दिन संत बाबा कारू खिरहरि मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है।  नेपाल सहित देश के विभिन्न राज्यों व खासकर कोसी इलाके के कोने-कोने से पहुंचने वाले हजारों श्रद्धालुओं के द्वारा बाबा पर हजारों क्विंटल दूध का चढ़ावा चढ़ाया जाता है। 

फाइल फोटो मंदिर

मंगलवार को दुर्गा सप्तशती की वजह से बाबा पर चढ़ाये गये दूध की धारा बह कर कोसी नदी में प्रवाहित होता रहा। इस मौके पर महाखीर प्रसाद का वितरण किया गया। कोसी नदी के किनारे स्थित महपुरा गांव स्थित संत बाबा कारू खिरहरि मंदिर में सप्तमी के दिन श्रद्धालुओं ने दूध के साथ बाबा का प्रिय खड़ाऊ, लाठी, गांजा का भी चढ़ावा चढ़ाया। 

बहती दुध की धारा (फाइल फोटो)

पूजा-अर्चना के लिए उमड़ी भीड़ से कोसी तटबंध पर दो किलोमीटर तक वाहनों व लोगों की लंबी कतार व जाम लगा रहा। मंदिर प्रांगण में जगह-जगह भक्तों द्वारा भगैत गायन व बाबा के जयकारे सेे मंदिर परिसर गुंजायमान रहा। हवन, मुंडन, प्रसाद चढ़ाने की श्रद्धालुओं में होड़ मची रही। विगत कई वर्षों से सप्तमी के दिन दूध चढ़ाने पहुंचे समस्तीपुर जिले के निवासी रामउदगार यादव ने बताया कि बाबा की महिमा अपरंपार है। हर वर्ष हमलोगों की उन्नति कारू बाबा की कृपा से हो रही है। नेपाल से पहुंचे श्रद्धालु ने बताया कि नेपाल में भी बाबा की भगैत गायन बड़े ही भक्तिभाव से सुनी जाती है।

सिमरी बख्तियारपुर के चंदन यादव ने बताया कि कोसी की महिमा से बाबा और भी महिमा मंडित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि मैं हर वर्ष आता हूं और कोसी नदी के बीच स्थित भव्य बन रहे कारू मंदिर को देख काफी खुशी होती है। कोसी में चढ़ावे की बहती दूध को प्रसाद के रूप में श्रद्धालु लोटा में भरते रहे। 

यहां बताते चलें कि कोसी नदी के तट पर स्थित, संत बाबा कारू खिरहरी का एक मंदिर है, जिसे शिव-भक्ति के गुणों से गाय के लिए समर्पण के कारण देवत्व प्राप्त हुआ है। जीवन के सभी क्षेत्रों से लोग कारू खिरहरी बाबा को दूध की पेशकश करते हैं। यद्यपि महिषी गांव के पास यह मंदिर, महिषी प्रखंड कार्यालय से 2 किमी दूर, पूर्वी कोशी तटबंध के नदी के किनारे स्थित है। यह अशांत कोसी नदी के मुहाने पर स्थित है एवं हाल ही में बिहार सरकार ने करू खिरहारी मंदिर को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा की है।